Uttarkashi News: हर साल की तरह इस बार भी उत्तराखंड के पवित्र चार धामों में से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तैयारियां जोरों पर हैं। ये दोनों धाम भगवान शिव और मां गंगा-यमुना के प्रतीक हैं, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन सर्दियों की कठोर ठंड के कारण इनके द्वार नवंबर तक बंद हो जाते हैं। अगर आप भी चार धाम यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए जरूरी है। आइए जानते हैं, 2025 में ये कपाट कब बंद होंगे।
यमुनोत्री धाम के कपाट: भाई दूज पर होगा समापन
यमुनोत्री धाम, जो यमुना नदी का उद्गम स्थल है, हर साल अप्रैल में खुलता है और अक्टूबर के अंत में बंद हो जाता है। इस बार यमुनोत्री मंदिर के कपाट 23 अक्टूबर 2025 को बंद किए जाएंगे। ये तारीख भाई दूज (यम द्वितीया) के दिन तय की गई है। इस दिन सुबह विशेष पूजा-अर्चना के बाद मां यमुना की प्रतिमा को मंदिर से निकालकर सुरक्षित स्थान पर रख दिया जाता है। श्रद्धालु आखिरी दर्शन के लिए सुबह जल्दी पहुंच सकते हैं, क्योंकि दोपहर तक सब कुछ समाप्त हो जाता है।
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यहां की यात्रा थोड़ी कठिन होती है, लेकिन यहां के गर्म जल स्रोत और प्राकृतिक सौंदर्य दिल जीत लेते हैं। अगर आप अभी तक नहीं गए, तो ये आखिरी मौका है!
गंगोत्री धाम के द्वार: दिवाली के ठीक बाद बंद
गंगोत्री धाम, जहां मां गंगा का अवतरण माना जाता है, भी इसी महीने अलविदा कहेगा। यहां के कपाट 22 अक्टूबर 2025 को बंद होंगे। कुछ स्रोतों के अनुसार, ये दिवाली के अगले दिन यानी 22 अक्टूबर को होगा, बंद होने से पहले भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें देवी गंगा की मूर्ति को मंदिर से बाहर लाया जाता है। ऊंचाई पर स्थित होने से यहां का मौसम हमेशा ठंडा रहता है। सर्दियों में बर्फबारी के कारण यात्रा असंभव हो जाती है, इसलिए ये परंपरा सदियों से चली आ रही है।
क्यों बंद होते हैं कपाट? परंपरा और महत्व
ये कपाट बंद करने की रस्म हिमालय की कठोर प्रकृति से जुड़ी है। सर्दियों में भारी बर्फबारी और तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जो यात्रियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए पुजारियों द्वारा देवताओं की मूर्तियों को नीचे के गांवों में ले जाया जाता है, जहां पूजा-अर्चना जारी रहती है।इस परंपरा का धार्मिक महत्व भी गहरा है। मान्यता है कि मां गंगा और यमुना सर्दियों में कैलाश पर्वत पर लौट जाती हैं। अगले साल ये धाम अप्रैल 2026 में अक्षय तृतीया पर फिर खुलेंगे। तब तक श्रद्धालु स्थानीय मंदिरों में दर्शन कर सकते हैं।