देश की सीमाओं पर डटे जवानों की बहादुरी की कहानी कभी खत्म नहीं होती। आज एक बार फिर उत्तराखंड के कोटद्वार से निकला एक वीर सपूत, राइफलमैन सूरज सिंह नेगी, ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला इलाके में आतंकियों से लोहा लेते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। गोरखा रेजीमेंट में तैनात 14 नेशनल राइफल्स के इस जवान ने ड्यूटी के दौरान क्रॉस फायरिंग में अदम्य साहस दिखाया, लेकिन दुर्भाग्य से वे शहीद हो गए।
सूरज सिंह नेगी कोटद्वार के लालपुर वार्ड-19 के रहने वाले थे। उनके पिता प्रेम सिंह नेगी एक साधारण किसान हैं, जिन्होंने अपने बेटे को देशसेवा का सपना सौंपा था। सूरज ने स्थानीय स्कूल से पढ़ाई की और सेना में भर्ती होकर गर्व से कंधे पर राइफल साध ली। परिवार और मोहल्ले वाले बताते हैं कि सूरज हमेशा मुस्कुराता रहता था, लेकिन जब बात देश की आती, तो उसकी आंखों में एक अलग जज्बा चमकता था। “वो कहता था पापा, मैं सीमा पर जाकर ही सच्ची सेवा करूंगा,” पिता प्रेम सिंह नेगी ने आंसू भरी आंखों से बताया।
सूरज नेगी हुए शहीद
बारामूला का वो संवेदनशील इलाका, जहां हर पल खतरा मंडराता रहता है। सेना को आतंकियों की टिप मिली थी कि कुछ घुसपैठिए सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे। ऑपरेशन शुरू होते ही मुठभेड़ छिड़ गई। सूरज और उनके साथी जवानों ने बिना पीछे हटे दुश्मनों का मुकाबला किया। घंटों चली गोलीबारी में सूरज ने कई साथियों को बचाया, लेकिन आखिरकार वे वीरगति को प्राप्त हो गए। सेना के एक अधिकारी ने कहा, “सूरज जैसे जवान ही हमारी ताकत हैं। उनका बलिदान हमें और मजबूत बनाएगा।
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कोटद्वार के लालपुर में आज शोक का माहौल है। पड़ोसी राधा देवी ने कहा, “सूरज हम सबका लाडला था। बचपन से ही खेलकूद में आगे रहता था। आज वो चला गया, लेकिन उसकी यादें हमेशा जिंदा रहेंगी।” स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। विधायक ने भी परिवार से मिलकर सांत्वना दी और कहा, “हम सरकार से शहीद के परिवार को हर संभव मदद दिलवाएंगे। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
सूरज सिंह नेगी जैसे हजारों जवान अनजाने हीरो हैं, जो चुपचाप देश की रक्षा करते हैं। उनकी शहादत हमें याद दिलाती है कि आजादी की कीमत क्या है। उनका पार्थिव शरीर आज कोटद्वार पहुंचेगा, जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।