नई दिल्ली. शादीशुदा जिंदगी में कुछ त्योहार ऐसे होते हैं जो प्यार और समर्पण की मिसाल बन जाते हैं। इन्हीं में से एक है करवाचौथ। ये दिन पत्नियों के लिए अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला ये व्रत महिलाओं को एक-दूसरे के साथ जोड़ता है। लेकिन इस बार, 2025 में करवाचौथ कब है? और पूजा कैसे करें? चलिए, आज हम इसी पर आसान भाषा में बात करते हैं।
2025 में करवाचौथ कब है?
अगर आप भी तैयारी में लगी हैं, तो अच्छी खबर! 2025 का करवाचौथ 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। ये तिथि सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखने का समय है। सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करने से व्रत की शुरुआत होती है, और शाम को चांद निकलने पर ही पारण (व्रत खोलना) किया जाता है। चंद्रोदय का समय शहर के हिसाब से थोड़ा बदल सकता है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में ये करीब रात 8 बजे के आसपास होगा। तो, आज ही अपनी साड़ी, मेहंदी और पूजा सामग्री तैयार कर लीजिए!
क्यों रखें करवाचौथ का व्रत
करवाचौथ सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने का मौका है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत से वैवाहिक सुख मिलता है और संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है। दोस्तों के साथ मिलकर कथा सुनना, करवा घुमाना, ये सब मिलकर त्योहार को और भी मजेदार बना देते हैं। अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं, तो घबराएं नहीं। ये दिन आपको अपनी शादी की यादें ताजा करने का बहाना देगा।
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करवाचौथ की पूजा कैसे करें?
करवाचौथ पूजा पूजा में ज्यादा उलझन न लें। घर पर ही सरल तरीके से कर सकती हैं।
सुबह की पूजा: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-5 बजे) में उठें और स्नान कर लें। फिर सूर्योदय से पहले सरगी खाएं। ये मां या सास द्वारा दी जाती है। इसमें फल, मिठाई, सेवईं या सूखे मेवे होते हैं। ये पूरे दिन एनर्जी देगी। फिर, भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। “मैं करवाचौथ व्रत रखूंगी, ताकि मेरे पति सदा स्वस्थ रहें।”
शाम की पूजा: शाम 5-6 बजे पूजा शुरू करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर गणेश जी, मां पार्वती, भगवान शिव और कार्तिकेय की मूर्ति या फोटो रखें। बीच में करवा (मिट्टी का छोटा घड़ा) रखें। करवा में जल भरें, चंदन-रोली लगाएं, फूल चढ़ाएं। करवा के ऊपर 13 चावल या कौड़ी रखें। सास या बड़ी महिलाओं के चरण स्पर्श कर बायना दें। इसमें करवा, मिठाई, सूखे मेवे और साड़ी का ब्लाउज पीस भरें। फिर, सिर पर रखकर घुमाएं।
कथा और आरती: सभी महिलाएं इकट्ठा होकर करवाचौथ कथा सुनें। ये वीरिनी बहू की कहानी है, जो अपने पति को बचाने के लिए व्रत रखती है। आरती गाएं: “सावित्री अमर न रहें, सीता माता पति को पावें…” पूजा के बाद सूर्य और चंद्रमा को अर्घ्य दें। चांद को छलनी से देखकर पति को दिखाएं, फिर व्रत खोलें।
पूजा सामग्री: सिंदूर, चंदन, फूल, अगरबत्ती, दीपक, करवा, थाली, चंदन की सलाह ये सब आसानी से मिल जाएंगे।