Uttarkashi News: उत्तरकाशी पुलिस की सतर्कता ने उच्च हिमालयी क्षेत्र के आरक्षित वनों से चोरी की गई मूल्यवान कांजल कांठ की लकड़ी की तस्करी को धर दबोचा। चौकी डुंडा बैरियर पर मंगलवार सुबह एक संयुक्त जांच में पुलिस ने एक यूटिलिटी वाहन से भारी मात्रा में प्रतिबंधित लकड़ी बरामद की, जिसकी कीमत लाखों में बताई जा रही है। प्रभारी चौकी डुंडा प्रकाश राणा के नेतृत्व वाली टीम ने वाहन संख्या UK 10C 1427 को चेक किया, तो वाहन सवारों पर वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन करते हुए तस्करी का पर्दाफाश हो गया।
उत्तरकाशी में कांजल कांठ की तस्करी
पुलिस के अनुसार, वाहन चालक विजय (35 वर्ष, निवासी नाल्ड, गंगोरी भटवाड़ी, उत्तरकाशी) और सहयोगी गोपाल बोहरा (39 वर्ष, मूल निवासी ग्राम डोली, चोर थाना कंचनपुर, जिला कंचनपुर, महाकाली नेपाल; वर्तमान पता हॉल मोजांग, त्यूणी, देहरादून) गंगोरी-अगोड़ा क्षेत्र के जंगलों से इकट्ठी की गई कांजल कांठ की लकड़ी को देहरादून-सहारनपुर की ओर ले जा रहे थे। पूछताछ में खुलासा हुआ कि गोपाल ने नेपाल से सटे क्षेत्रों के माध्यम से इस नेटवर्क को संचालित किया था। वाहन से कुल 597 नग कांजल कांठ की लकड़ी बरामद हुई, जो उच्च हिमालय के आरक्षित वन क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजाति है।
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कांजल कांठ को औषधीय गुणों के कारण अत्यंत मूल्यवान माना जाता है। बौद्ध समुदाय के लोग इससे विशेष बर्तन (बाउल) बनाते हैं, जिनका उपयोग खाद्य और पेय पदार्थों के लिए किया जाता है। इसकी अवैध तस्करी न केवल वन्यजीवों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वन संरक्षण कानूनों का भी उल्लंघन है। स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की तस्करी हिमालयी पारिस्थितिकी को गंभीर खतरा पैदा कर रही है।
पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को लकड़ी के साथ हिरासत में ले लिया और मामले में अग्रिम विधिक कार्रवाई के लिए उन्हें वन विभाग के सुपुर्द कर दिया। डुंडा पुलिस ने अन्य संभावित तस्करों के खिलाफ निगरानी बढ़ा दी है, ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। यह कार्रवाई क्षेत्रीय वन संरक्षण अभियान का हिस्सा है, जो अवैध कटाई और तस्करी पर कड़ा प्रहार करने का संकल्प दर्शाती है।