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जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी, आम आदमी को मिलेगी राहत, जानिए कैसे

Authored by: Bhupendra Panwar
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Published on: 15 August 2025, 8:19 pm IST
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जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी, आम आदमी को मिलेगी राहत, जानिए कैसे

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद वित्त मंत्रालय ने जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा है। केंद्र सरकार मौजूदा 12% और 28% टैक्स स्लैब को पूरी तरह से हटाने की योजना बना रही है और इसके स्थान पर सिर्फ दो दरें – 5% और 18% – लागू करने का सुझाव दिया है। इस बदलाव से आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश वस्तुओं पर टैक्स कम हो जाएगा।

वर्तमान में जीएसटी की चार-स्तरीय दर संरचना है: 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा, कुछ लग्जरी और सिन गुड्स (जैसे सिगरेट, तंबाकू उत्पाद) पर अतिरिक्त सेस लगाया जाता है, जिससे प्रभावी दर 28% से ऊपर चली जाती है। लेकिन नए प्रस्ताव के तहत:

  • 12% स्लैब का समाप्ति: इस स्लैब में आने वाली लगभग 99% वस्तुओं को 5% की दर पर स्थानांतरित किया जाएगा। इससे खाद्य पदार्थ, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स कम हो जाएगा।
  • 28% स्लैब का समाप्ति: इस स्लैब की करीब 90% वस्तुओं को 18% की दर पर लाया जाएगा। हालांकि, सिन गुड्स जैसे सिगरेट, तंबाकू और लग्जरी आइटम्स पर 40% की विशेष दर लागू रहेगी।
  • दो-स्तरीय संरचना: कुल मिलाकर, अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर सिर्फ 5% या 18% टैक्स लगेगा, जो कर प्रणाली को सरल बनाएगा।

यह प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा, जो संभवतः सितंबर 2025 में होगी। काउंसिल में केंद्र और सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, और किसी भी बदलाव के लिए उनकी सहमति जरूरी है।

आम आदमी को क्या फायदा?

इस सुधार से उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा। उदाहरण के लिए:

  • दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे किराने का सामान, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैक्स घटने से कीमतें कम होंगी।
  • कारोबारियों के लिए कर अनुपालन आसान हो जाएगा, क्योंकि कम स्लैब्स का मतलब कम जटिलता।
  • अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ सकती है, क्योंकि सस्ती वस्तुओं से खपत बढ़ेगी।

वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह कदम जीएसटी को और अधिक कुशल बनाने का प्रयास है, जो 2017 में लागू होने के बाद से कई बदलावों से गुजरा है।

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जीएसटी में बदलाव पर चुनौतियां

हालांकि यह प्रस्ताव आकर्षक लगता है, लेकिन राज्यों की सहमति एक बड़ी चुनौती है। कई राज्य जीएसटी से राजस्व पर निर्भर हैं, और टैक्स दरों में कमी से उनके राजस्व पर असर पड़ सकता है। केंद्र ने राज्यों को आश्वासन दिया है कि राजस्व हानि की भरपाई की जाएगी, लेकिन अंतिम फैसला काउंसिल पर निर्भर करेगा।

इसके अलावा, सिन गुड्स पर 40% की दर से स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी उत्पादों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, लेकिन इससे उन उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है।

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Bhupendra Panwar
Bhupendra Singh Panwar is a dedicated journalist reporting on local news from Uttarakhand. With deep roots in the region, he provides timely, accurate, and trustworthy coverage of events impacting the people and communities of Uttarakhand. His work focuses on delivering verified news that meets high editorial standards and serves the public interest.
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