उत्तराखंड सरकार ने युवाओं को सेना में अग्निवीर के रूप में भर्ती के लिए तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने 13 जिलों में निशुल्क पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह पहल राज्य की गौरवशाली सैन्य परंपरा को मजबूत करने और युवाओं को सेना की सेवा का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।
अग्निवीर भर्ती के लिए निशुल्क प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में विभाग को निर्देश दिए थे कि प्रदेश के युवाओं को अग्निवीर भर्ती के लिए विशेष और निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाए। इसी क्रम में विभाग ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए कमर कस ली है। जल्द ही देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल समेत 13 जिलों के खेल स्टेडियमों और मैदानों में यह प्रशिक्षण शुरू हो जाएगा। कार्यक्रम के तहत युवक-युवतियां शारीरिक फिटनेस, अनुशासन और सैन्य कौशलों पर केंद्रित ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे, जो भर्ती प्रक्रिया में उनकी सफलता सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री ने इस पहल पर जोर देते हुए कहा, “उत्तराखंड की शानदार सैन्य परंपरा रही है। यहां के प्रत्येक परिवार से कोई न कोई सदस्य सेना में जाता ही है। इसीलिए सरकार अग्निवीर भर्ती पूर्व प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, ताकि युवा अग्निवीर के जरिए सेना को अपनी सेवाएं दे सकें।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने अग्निवीरों को सेवाकाल के बाद राज्य की सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने का फैसला ले लिया है, जो युवाओं के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा।
कैसे करें आवेदन क्या है पात्रता?
इस प्रशिक्षण के लिए इच्छुक युवक-युवतियों को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। उत्तराखंड राज्य का मूल या स्थायी निवासी होना अनिवार्य है, या फिर राज्य के किसी संस्थान में अध्ययनरत/सेवारत होना चाहिए। शैक्षिक योग्यता के तौर पर हाईस्कूल परीक्षा में कम से कम 45 प्रतिशत अंक और प्रत्येक विषय में 33 प्रतिशत या उससे अधिक अंक आवश्यक हैं। आयु सीमा 16 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
आवेदन के लिए जिला खेल कार्यालय या जिला युवा कल्याण अधिकारी कार्यालय में पंजीकरण कराना होगा। साथ ही, चिकित्सक द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र जमा करना अनिवार्य है। प्रशिक्षण सत्र के दौरान प्रतिभागियों को खेल किट – जिसमें टी-शर्ट, नेकर, स्पोर्ट्स शूज और मौजे शामिल हैं – में उपस्थित होना पड़ेगा। विभाग ने सख्ती से निर्देश दिए हैं कि छात्र-छात्राओं के शरीर पर कोई टैटू या अप्राकृतिक स्थायी निशान नहीं होना चाहिए। प्रशिक्षण केवल विभागीय प्रशिक्षकों द्वारा ही प्रदान किया जाएगा, जो खेल स्टेडियम या मैदान पर आयोजित होगा।
यह कार्यक्रम न केवल युवाओं को सैन्य भर्ती के लिए तैयार करेगा, बल्कि राज्य की युवा शक्ति को अनुशासित और स्वस्थ बनाने में भी सहायक सिद्ध होगा। अधिक जानकारी के लिए संबंधित जिला कार्यालयों से संपर्क किया जा सकता है। सरकार की इस पहल से उत्तराखंड के हजारों युवा लाभान्वित होने की उम्मीद है।