उत्तराखंड वन विकास निगम (यूएफडी) एक बार फिर भ्रष्टाचार के चंगुल में फंस गया है। ऑडिट में सामने आया है कि निगम के 46 वरिष्ठ अधिकारियों ने बिना किसी सरकारी अनुमति के अपने निजी घरों में कुक (रसोइया) रखे और उनकी सैलरी सीधे सरकारी फंड से चुकाई। यह अनियमितता पूरे 34 महीनों तक चली, जिसमें निगम के खजाने को करीब 2.5 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। सरकार ने मामले की गहन जांच के आदेश दे दिए हैं, और दोषियों से राशि की वसूली की कार्रवाई का ऐलान किया गया है।
उत्तराखंड में 46 अधिकारियों ने रखे निजी कुक
ऑडिट टीम की जांच में पाया गया कि अप्रैल 2022 से अप्रैल 2025 तक यह सिलसिला बिना किसी रुकावट के चलता रहा। प्रत्येक कुक को मासिक 17,000 रुपये का मानदेय दिया जाता था, जिससे हर महीने निगम को लगभग 8 लाख रुपये का बोझ पड़ता। इसमें कुल 46 अधिकारियों ( 36 प्रभागीय वन अधिकारी, 4 क्षेत्रीय प्रबंधक, 4 प्रशासनिक अधिकारी, 1 मुख्य लेखाधिकारी, और 1 ईपीएफ लेखाधिकारी) शामिल थे।
ABP न्यूज के अनुसार, ये सभी अधिकारी आउटसोर्सिंग के बहाने कुकों की नियुक्ति करते थे, लेकिन वास्तव में ये उनके निजी उपयोग के लिए थे। दिलचस्प बात यह है कि मई 2022 में निगम ने अपनी नई सेवा नियमावली लागू की, जिसमें सरकारी खर्च पर कुक रखने का प्रावधान पूरी तरह समाप्त कर दिया गया था। फिर भी, अधिकारियों ने नियमों की खुली अवहेलना की और भुगतान जारी रखा। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, जब वित्तीय जांच का दबाव बढ़ा, तभी अप्रैल 2025 में इन सेवाओं को बंद किया गया।
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जांच के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ, कई अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर कुकों की नियुक्ति दिखाकर सरकारी फंड से पैसे ट्रांसफर किए। इससे निगम की निगरानी व्यवस्था और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
वन निगम कर्मचारी संघ ने इस घोटाले पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। संघ के महामंत्री प्रेम सिंह चौहान ने कहा, “यह सिर्फ पैसे की बर्बादी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में जड़ जमा चुकी गैर-जवाबदेही का उदाहरण है। निगम की कार्यसंस्कृति पर एक काला धब्बा लग गया है।” संयुक्त मंत्री कीर्ति सिंह नेगी ने भी मांग की है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और निगम में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
सरकार ने दिए जांच के आदेश
मामले को गंभीरता से लेते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा, “यह अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी पाए जाने पर सभी संबंधित अधिकारियों से वित्तीय रिकवरी की जाएगी, और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित होगी।” प्रिंसिपल सेक्रेट्री फॉरेस्ट आर.के. सुधांशु ने बताया कि निगम के एमडी से इस पर चर्चा की जाएगी, और विस्तृत जांच के बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।