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उत्तराखंड में खत्म होगा मदरसा बोर्ड खत्म, धामी सरकार लाएगी अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025

Authored by: Bhupendra Panwar
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Published on: 17 August 2025, 6:03 pm IST
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उत्तराखंड में खत्म होगा मदरसा बोर्ड खत्म, धामी सरकार लाएगी अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025

उत्तराखंड की धामी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक, 2025 को आगामी विधानसभा सत्र (19-22 अगस्त, गैरसैंण) में पेश करने का फैसला लिया है। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गई। इसके लागू होने के बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 और गैर-सरकारी अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 को 1 जुलाई 2026 से समाप्त कर दिया जाएगा। यह देश का पहला ऐसा अधिनियम होगा, जो सभी अल्पसंख्यक समुदायों मुस्लिम, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी के शैक्षिक संस्थानों को पारदर्शी मान्यता प्रक्रिया के तहत लाएगा।

अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 की विशेषताएं

  • उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन: इस विधेयक के तहत एक प्राधिकरण स्थापित होगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देगा और उनकी निगरानी करेगा।
  • सभी अल्पसंख्यकों को समान अवसर: अभी तक केवल मुस्लिम समुदाय के मदरसों को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त था। नए विधेयक में सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों द्वारा संचालित शैक्षिक संस्थानों को भी यह दर्जा मिलेगा, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता: प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि सभी मान्यता प्राप्त संस्थान उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड के मानकों का पालन करें। विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होगा।
  • मान्यता के लिए अनिवार्य शर्तें: संस्थानों का सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के तहत पंजीकरण अनिवार्य होगा। भूमि, बैंक खाते और अन्य संपत्तियां संस्थान के नाम पर होनी चाहिए। वित्तीय अनियमितता, पारदर्शिता की कमी या सामाजिक-धार्मिक सद्भाव के खिलाफ गतिविधियों पर मान्यता रद्द हो सकती है।
  • भाषाई समावेशिता: मान्यता प्राप्त संस्थानों में गुरुमुखी, पाली जैसी भाषाओं का अध्ययन संभव होगा, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों की भाषाई विरासत को बढ़ावा मिलेगा।

इससे क्या पड़ेगा प्रभाव

यह विधेयक उत्तराखंड में अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों के लिए एक पारदर्शी और समावेशी ढांचा तैयार करेगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे। सरकार को संस्थानों की निगरानी और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार होगा। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में समानता और उत्कृष्टता को बढ़ावा देगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “यह विधेयक उत्तराखंड को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा। हमारा लक्ष्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों को समान अवसर देना और शिक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। यह कदम सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देगा।

विधानसभा सत्र में पेशा होगा विधेयक

19 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में इस विधेयक के पेश होने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस की संभावना है। यह विधेयक न केवल शिक्षा नीति में बदलाव लाएगा, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित करेगा।

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उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक, 2025 शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है, जो समावेशिता, पारदर्शिता और गुणवत्ता को बढ़ावा देगा। साथ ही, मध्यमहेश्वर में चल रहा रेस्क्यू अभियान उत्तराखंड की आपदा प्रबंधन क्षमता और सामुदायिक एकजुटता को दर्शाता है। यह दोनों घटनाएं राज्य के प्रगतिशील और समावेशी भविष्य की ओर इशारा करती हैं।

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Bhupendra Panwar
Bhupendra Singh Panwar is a dedicated journalist reporting on local news from Uttarakhand. With deep roots in the region, he provides timely, accurate, and trustworthy coverage of events impacting the people and communities of Uttarakhand. His work focuses on delivering verified news that meets high editorial standards and serves the public interest.
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