हाईकोर्ट ने बिना पंजीकरण सील मदरसों के मामले में दिए निर्देश, सरकार लेगी निर्णय

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों को लेकर अहम निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकल पीठ ने जिला प्रशासन द्वारा सील किए गए अवैध मदरसों के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि मदरसों को जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को एक शपथपत्र देना होगा। इस शपथपत्र में मदरसों को यह आश्वासन देना होगा कि जब तक उन्हें सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक वे अपने परिसरों में कोई भी शैक्षणिक, धार्मिक या नमाज संबंधी गतिविधि नहीं करेंगे।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शपथपत्र दाखिल होने के बाद, इन मदरसों को खोलने पर राज्य सरकार ही फैसला लेगी। तब तक मदरसे खाली रहेंगे और उनके परिसर में कोई गतिविधि नहीं चलेगी।
मामला हरिद्वार के जामिया राजबिया फैजुल कुरान, मदरसा दारुल कुरान, मदरसा नुरूहुदा एजुकेशन ट्रस्ट, मदरसा सिराजुल कुरान अरबिया रासदिया सोसाइटी और दारुलउलम सबरिया सिराजिया सोसाइटी द्वारा दायर याचिकाओं से जुड़ा है। याचिकाकारियों का कहना था कि उन्होंने मदरसा पंजीकरण के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन संबंधित बोर्ड की बैठक न होने के कारण पंजीकरण प्रक्रिया लंबित है। ऐसे में जब तक पंजीकरण नहीं हो जाता, तब तक सील हटाई जाए।
सरकारी पक्ष ने दलील दी कि जिन मदरसों का पंजीकरण नहीं हुआ था, उन्हीं को सील किया गया है। सरकारी वकीलों का कहना था कि ये मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे थे, जिनमें शैक्षिक, धार्मिक एवं नमाज संबंधी गतिविधियां हो रही थीं। केवल पंजीकृत मदरसों को ही अनुदान एवं संचालन की अनुमति है तथा वे सील नहीं किए गए हैं।
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कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, अब सील किए गए मदरसों में किसी भी प्रकार की धार्मिक या शैक्षिक गतिविधि नहीं होगी, जब तक वे सरकार से औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं कर लेते। सरकार ही आगे इनके संचालन पर निर्णय लेगी।