नेपाल की राजनीति में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। क्या आप जानते हैं कि नेपाल को पहली बार एक महिला प्रधानमंत्री मिली है? जी हां, पूर्व सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने हाल ही में पद की शपथ ली है। यह खबर न सिर्फ नेपाल के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक मील का पत्थर है। आइए, जानते हैं इस ऐतिहासिक घटना की पूरी कहानी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता का आंदोलन
पिछले हफ्ते नेपाल में युवाओं के नेतृत्व में भारी विरोध प्रदर्शन हुए। ये प्रदर्शन भ्रष्टाचार के खिलाफ थे, जो देश की राजनीति को जड़ से हिला दिए। सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे, और कई जगह हिंसा भी हुई। इन प्रदर्शनों की वजह से सरकार को झुकना पड़ा। विरोधियों के साथ समझौता हुआ, और इसी के तहत सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। 73 साल की सुशीला कार्की भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्ती के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने न्यायालय में कई बड़े मामलों में फैसले दिए, जो आज भी लोगों को याद हैं।
नेपाल की पहली प्रधानमंत्री बनी सुशीला कार्की
सुशीला कार्की का जन्म नेपाल के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और धीरे-धीरे न्यायिक क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ। 2015 में वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उनके कार्यकाल में अदालत ने कई सुधार किए, जैसे महिलाओं के अधिकारों पर जोर देना और भ्रष्टाचारियों को सजा देना। अब प्रधानमंत्री बनकर वे देश को नई दिशा देने वाली हैं। कल्पना कीजिए, एक महिला जो अदालत की कुर्सी से सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंच गई! यह नेपाल की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है
नेपाल की राजनीति में महिलाओं की भूमिका
नेपाल हमेशा से ही महिलाओं के लिए संघर्ष का मैदान रहा है। यहां की महिलाएं राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था में अपनी जगह बनाने के लिए लड़ती रहीं। लेकिन प्रधानमंत्री पद पर पहली बार एक महिला का आना बड़ा बदलाव है। सुशीला कार्की का यह कदम न सिर्फ लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा, बल्कि युवाओं की आवाज को भी सुनेगा। प्रदर्शनों में शामिल युवा कहते हैं कि वे भ्रष्टाचार मुक्त नेपाल चाहते हैं, और कार्की इसमें सक्षम हैं।
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अभी सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री हैं, यानी उनका कार्यकाल कुछ महीनों का होगा। लेकिन इस दौरान वे चुनावों की तैयारी करेंगी और सुधार लाएंगी। चुनौतियां बहुत हैं आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता। लेकिन जिस तरह से उन्हें समर्थन मिला उसके अनुसार नेपाल नई ऊंचाइयों को छू लेगा।