उत्तराखंड: रेफर सेंटर बना अस्पताल: नवजात की मौत, मां ने भी रास्ते में तोड़ा दम
उत्तराखंड के पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति लंबे समय से खराब है। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के दावे करती रहे, लेकिन गैरसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हकीकत कुछ और ही बयान करती है। गत दिनों यहां हुए एक नवजात शिशु की मौत हो गई और यह खबर सुनते ही मां की तबीयत बिगड़ गई। जिन्हें दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया लेकिन महिला की आधे रास्ते में ही मौत हो गई।
उपजिला चिकित्सालय का दर्जा, पर सुविधा का सूनापन
हाल ही में गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उपजिला चिकित्सालय का दर्जा दिया गया है, पर इसे केवल कागजों तक सीमित रहना पड़ रहा है। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, आधुनिक उपकरणों और जरूरी दवाओं का अभाव यहां की स्वास्थ्य सेवा को बदहाल बना रहा है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित मात देने की जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाना संभव नहीं हो पा रहा।
नवजात शिशु की मौत
गैरसैंण विकास खंड के एक दूरस्थ गांव फुल ढुंगी तल्ला की 25 वर्षीय सुशीला देवी, जो प्रसव पीड़ा के कारण अस्पताल आई थी, ने यहां मरीजों की हालत की एक कटु सच्चाई सामने ला दी। सुशीला ने एक मृत नवजात को जन्म दिया, जो सुनते ही उनकी हालत बिगड़ गई। सदमे के कारण उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद उच्चतर अस्पताल के लिए रेफर किया गया, लेकिन आधे रास्ते में ही उनका निधन हो गया।
सुशीला के पति भारतीय सेना में तैनात हैं और इस दुखद खबर ने परिवार समेत पूरे क्षेत्र को सकते में डाल दिया है। परिजन और स्थानीय जनता स्वास्थ्य सेवाओं की इस कमी के प्रति बेहद आक्रोशित हैं और मांग कर रहे हैं कि इस तरह की घोर लापरवाही पर संज्ञान लिया जाए।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अर्जुन रावत ने बताया कि प्रसव सामान्य तरीके से हुआ था, लेकिन नवजात मृत पैदा हुआ। नवजात के मृत होने की खबर सुनते ही महिला को गहरा सदमा लगा, जिससे उनकी तबियत बिगड़ी और बाद में उन्हें उच्चतर अस्पताल के लिए भेजा गया।