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उत्तरकाशी: आज भी पारंपरिक ‘जांद्रा’ का उपयोग करती माज़फ गांव की प्रतिमा देवी

Authored by: Bhupendra Panwar
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Published on: 2 May 2025, 9:03 am IST
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उत्तरकाशी: आज भी पारंपरिक ‘जांद्रा’ का उपयोग करती माज़फ गांव की प्रतिमा देवी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के माज़फ गांव में निवास करने वाली वृद्ध महिला प्रतिमा देवी आज भी अपने आँगन में पारंपरिक ‘जांद्रा’ का उपयोग करती हैं, जो एक प्राचीन ग्रामीण तकनीक है और अब विलुप्ति के कगार पर है। जांद्रा, जिसका उपयोग पुराने समय में गेहूं, दाल, जौ, और अन्य मोटे अनाजों को पीसने के लिए किया जाता था, न केवल एक यांत्रिक उपकरण है, बल्कि यह ग्रामीण जीवनशैली और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है।

माज़फ गांव की प्रतिमा देवी

आधुनिक तकनीक और विद्युत चालित चक्कियों के आगमन के साथ, जांद्रा का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में काफी हद तक कम हो गया है। फिर भी, इसके द्वारा तैयार किया गया आटा न केवल स्वाद में उत्कृष्ट होता है, बल्कि पोषण और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है।

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माज़फ गांव की प्रतिमा देवी जैसे व्यक्तियों के प्रयासों से यह पारंपरिक तकनीक आज भी जीवित है। वे न केवल इस प्राचीन विधि को अपनाए हुए हैं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों को इसके सांस्कृतिक और व्यावहारिक महत्व से अवगत करा रही हैं। उत्तराखंड की राज्य सरकार ने भी इस पारंपरिक तकनीक के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न पहल शुरू की हैं। सरकार द्वारा ग्रामीण कारीगरों को प्रोत्साहित करने और जांद्रा जैसे उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं, ताकि यह तकनीक और इसके साथ जुड़ी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।

हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में जांद्रा जैसे कई पारंपरिक उपकरण अभी भी मौजूद हैं, लेकिन इनका उपयोग अब सीमित हो गया है। माज़फ गाँव की प्रतिमा देवी का यह प्रयास न केवल एक प्रेरणादायक उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत का संरक्षण केवल सरकारी योजनाओं के भरोसे नहीं हो सकता। इसके लिए जन-सहभागिता और सामुदायिक जागरूकता का होना अत्यंत आवश्यक है।

प्रतिमा देवी जैसे व्यक्तियों के माध्यम से न केवल ग्रामीण परंपराएँ जीवित रहती हैं, बल्कि यह भी संदेश मिलता है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, जांद्रा जैसी प्राचीन तकनीकों का संरक्षण न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली को भी बढ़ावा देता है।

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Bhupendra Panwar
Bhupendra Singh Panwar is a dedicated journalist reporting on local news from Uttarakhand. With deep roots in the region, he provides timely, accurate, and trustworthy coverage of events impacting the people and communities of Uttarakhand. His work focuses on delivering verified news that meets high editorial standards and serves the public interest.
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