August 19, 2025
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धराली आपदा ने छीनी परिवार की उम्मीद, लापता धनेंद्र पंवार की बीमार पत्नी हेमलता पर टूटी मुसीबतों की मार

उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त 2025 को आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने न केवल कई परिवारों की आजीविका छीन ली, बल्कि उनके जीवन में ऐसी त्रासदी लाई, जिसका दर्द शायद ही कभी कम हो। इस आपदा ने धनेंद्र पंवार के परिवार को भी गहरे संकट में डाल दिया, जिनके मुखिया धनेंद्र अब तक लापता हैं। उनकी पत्नी हेमलता, जो गले की गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं, और उनके दो छोटे बच्चे अनमोल व आरूष इस सदमे से उबरने की कोशिश में हैं।

धनेंद्र पंवार का नहीं चला पता

43 वर्षीय धनेंद्र पंवार धराली में होटल और लॉज का व्यवसाय संभालते थे। इसके अलावा, उनके पास 70-80 सेब के पेड़ों का एक समृद्ध बगीचा भी था, जो उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत था। 5 अगस्त की सुबह धनेंद्र ने अपनी पत्नी हेमलता से फोन पर आखिरी बार बात की थी। इस बातचीत में उन्होंने हेमलता को अपनी और बच्चों की देखभाल करने, दवाइयां समय पर लेने और परहेज रखने की सलाह दी थी। उसी दिन उनकी इकलौती बहन ममता पंवार भी धराली आई थीं, जिन्हें धनेंद्र ने हंसते हुए गाड़ी में बिठाकर उत्तरकाशी के लिए विदा किया। लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद खीर गंगा नदी में आए भयानक सैलाब ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। इस आपदा में धनेंद्र का कुछ पता नहीं चला।

हादसे के समय हेमलता और उनके दोनों बच्चे मातली बड़ेथी में थे। धनेंद्र के लापता होने की खबर ने इस परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया। हेमलता, जो पहले से ही गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं, अब अपने दो मासूम बच्चों की परवरिश और पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी के बोझ तले दबी हैं। आपदा ने न केवल उनके पति को उनसे छीना, बल्कि उनकी आजीविका के साधन होटल, लॉज और सेब का बगीचा को भी नष्ट कर दिया।

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हेमलता अब भविष्य को लेकर गहरी चिंता में डूबी हैं। उनके कंधों पर बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी के साथ-साथ अपनी बीमारी से जूझने का दबाव भी है। धराली आपदा ने इस परिवार की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया, और अब वे केवल उम्मीद के सहारे जी रहे हैं कि शायद एक दिन धनेंद्र की वापसी हो। लेकिन तब तक, हेमलता और उनके बच्चों के लिए यह जंग आसान नहीं होगी।