ज्ञानसू-साल्ड-ऊपरीकोट सड़क उपेक्षा का शिकार, गांवों की जीवनरेखा खतरे में

वरूणाघाटी के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली ज्ञानसू-साल्ड-ऊपरीकोट सड़क, जो जिला मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूर है, आज बदहाली की तस्वीर बन चुकी है। पिछले एक दशक से इस सड़क पर डामरीकरण नहीं हुआ, जिसके चलते यह गड्ढों का कब्रिस्तान बन गई है। हाल की बारिश ने इसकी हालत को और दयनीय कर दिया है, जिससे यह सड़क न केवल असुविधाजनक, बल्कि जानलेवा भी बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क की उपेक्षा के कारण पहले भी कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और अब किसी भी क्षण बड़ी दुर्घटना की आशंका मंडरा रही है।

ज्ञानसू-साल्ड-ऊपरीकोट सड़क की अनदेखी

यह सड़क पहले लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के अधीन थी, लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण इसे कोई ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल इसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) को हस्तांतरित किया गया, मगर स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। निविदा तो जारी हुई, लेकिन तकनीकी खामियों का हवाला देकर कार्य फाइलों में ही अटक गया। पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट का कहना है कि “तकनीकी प्रक्रिया पूरी होने पर काम शुरू होगा,” लेकिन यह बयान ग्रामीणों के लिए खोखला साबित हो रहा है।

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ग्रामीणों की पुकार: अनसुनी शिकायतें

वरूणाघाटी के 10 से अधिक गांवों के लिए यह सड़क जीवनरेखा है, जो उन्हें जिला मुख्यालय से जोड़ती है। मगर इसकी बदहाल हालत के कारण न केवल दैनिक आवागमन बल्कि आपातकालीन सेवाएं, जैसे एम्बुलेंस और स्कूल वाहन, भी प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीणों ने कई बार जिलाधिकारी, विधायक और यहां तक कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गुहार लगाई, लेकिन उनकी शिकायतें कागजों में दबकर रह गईं।

जानलेवा बन चुकी सड़क

हाल की बारिश ने सड़क को पूरी तरह उजाड़ दिया है। गहरे गड्ढों और टूटी सतह के कारण वाहन चलाना जोखिम भरा हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी इस सड़क पर दुर्घटनाओं में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अगर तत्काल मरम्मत नहीं की गई, तो यह सड़क और भी बड़े हादसों का कारण बन सकती है।