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पंचायत चुनाव में ‘डबल वोटर’ घोटाला: हाईकोर्ट की सख्त फटकार, जीतने वालों की कुर्सी पर लटकी तलवार!

Authored by: Bhupendra Panwar
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Published on: 14 August 2025, 8:04 am IST
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पंचायत चुनाव में ‘डबल वोटर’ घोटाला: हाईकोर्ट की सख्त फटकार, जीतने वालों की कुर्सी पर लटकी तलवार!

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में ‘डबल वोटर लिस्ट’ के बड़े विवाद पर आज जोरदार सुनवाई की। पराजित उम्मीदवारों की याचिकाओं पर गौर करते हुए कोर्ट ने साफ कहा: “नियम तोड़कर जीतने वालों का कार्यकाल रद्द होगा!” यह फैसला उन हजारों मतदाताओं और उम्मीदवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।

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मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इन याचिकाओं को ‘चुनाव याचिका’ के रूप में मानते हुए निर्देश दिया कि इनका निपटारा महज 6 महीनों के अंदर किया जाए। कोर्ट ने किसी भी याचिका पर अंतरिम राहत नहीं दी, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई उम्मीदवार नियमों के खिलाफ जीता है, तो उसकी जीत और पद दोनों पर गाज गिरेगी।

पंचायत चुनाव में डबल वोटर का मामला

  • पराजित उम्मीदवारों की दलील: पौड़ी गढ़वाल की दीक्षा नेगी, टिहरी की नीरू चौधरी और उत्तरकाशी की ऊषा ने याचिका दायर कर कहा कि उनके खिलाफ जीतने वाले उम्मीदवारों के नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज थे। ऐसे में उनकी जीत अमान्य घोषित की जाए और उन्हें 14 अगस्त को होने वाले ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख व कनिष्ठ प्रमुख के चुनाव में वोट डालने से रोका जाए।
  • जीतने वालों की शिकायत : वहीं, वर्षा राणा, गंगा नेगी, कनिका और त्रिलोक बिष्ट जैसे विजयी उम्मीदवारों ने उल्टा आरोप लगाया कि उनके प्रतिद्वंद्वी भी दो मतदाता सूचियों में शामिल थे। इसलिए उन प्रतिद्वंद्वियों की जीत रद्द हो और उन्हें आगामी चुनावों से बाहर किया जाए।

यह विवाद उस समय और गहरा हो गया, जब याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि 11 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका पर राज्य निर्वाचन आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी। इस सर्कुलर में डबल वोटरों को चुनाव लड़ने और वोट डालने की छूट दी गई थी। लेकिन नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद भी चुनाव जारी रहा, जिससे ऐसे उम्मीदवार जीतकर पद पर काबिज हो गए। अब ये मामले हाईकोर्ट में बड़े स्तर पर चुनौती दे रहे हैं।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

याचिकाकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया – चुनाव हारने के बाद अगर याचिका दायर की जाती है, तो फैसला पंचायत का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी नहीं आता। इस पर कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा: “चुनाव से जुड़ी सभी याचिकाओं का निपटारा 6 महीनों में होगा। जो नियमों के मुताबिक जीता, वह अपना कार्यकाल पूरा करेगा। लेकिन अगर नियम तोड़कर जीता, तो फैसला आने पर उसका पद तुरंत रद्द!”

About the Author
Bhupendra Panwar
Bhupendra Singh Panwar is a dedicated journalist reporting on local news from Uttarakhand. With deep roots in the region, he provides timely, accurate, and trustworthy coverage of events impacting the people and communities of Uttarakhand. His work focuses on delivering verified news that meets high editorial standards and serves the public interest.
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