Uttarakhand के Glacier पर छाया जलवायु परिवर्तन का खतरा
Uttarakhand Glacier: जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया में पर्यावरण पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। देवभूमि उत्तराखंड में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड के ग्लेशियर(Uttarakhand Glacier) जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे है। जिसके कारण बर्फ की मोटी चादर लगातार पतली होती जा रही है। उसकी जगह जल्द प्रभावित होने वाली पतली बर्फ की चादर बन रही है। इसका शोध मिजोरम विश्वविद्यालय में हुआ है।
गर्मी से ऊपर खिसक रही स्नो लाइन
जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी के कारण स्नो लाइन ऊपर की ओर खिसक रही है। यह जानकारी मिजोरम विश्वविद्यालय में किए गए एक शोध से पता चली है।
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1991 से लेकर 2021 के आंकड़ों पर हुआ शोध
मिजोरम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विश्वंभर प्रसाद सती और रिसर्च स्कॉलर सुरजीत बनर्जी ने यह शोध किया है। उन्होंने उत्तराखंड के ग्लेशियर की स्थिति का जायजा साल 1991 से लेकर 2021 के आधार पर किया है।
यह है शोध के खास बिंदु
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, ऊपरी भागीरथी जल्याही क्षेत्र और टॉस नदी बेसिन में बर्फ की चादर के नुकसान और दो भागों में विभाजित होने की स्थिति ज्यादा है।
इन क्षेत्रों में कम समय में बर्फ के बनने और पिघलने की घटनाएं काफी तेजी से हो रही है।
इसके अलावा केदारनाथ के ऊपर के इलाके में भी बर्फ की मोटी चादर तेजी से कम होती जा रही है।
ग्लेशियरों में आ रहे बदलाव के कारण खेती करने के लिए पानी की भी कमी आने वाले समय में हो सकती है।
इसके साथ ही अचानक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में भी तेजी आएगी। जो देखने को भी मिल रही है।