देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षक भर्ती मामले ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। अब मूल रूप से उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों से विवाह के बाद आई महिलाओं को पति की जाति के आधार पर आरक्षण का दावा करने की अनुमति नहीं मिलेगी। शिक्षा विभाग ने जिला स्तर की जांच के बाद ऐसे करीब 30 आवेदनों को शासन को लौटा दिया है, जहां महिलाओं ने पति के आरक्षण पर सहायक अध्यापक पदों के लिए आवेदन किया था।
यह फैसला आरक्षण को पैतृक आधार पर सीमित रखने की नीति पर जोर देता है, जो SC, ST और OBC श्रेणियों के लिए पिता की जाति पर निर्भर करता है।
जांच में प्रमाणपत्र सही, लेकिन लाभ नामुमकिन
प्रदेश के 2906 प्राथमिक सहायक शिक्षक पदों की भर्ती में कई उम्मीदवारों ने UP से D.El.Ed डिप्लोमा लेकर आवेदन किया, लेकिन असली मुद्दा उन महिलाओं का उठा, जिनका विवाह उत्तराखंड में हुआ। इनके मूल निवासी प्रमाणपत्र जिला मजिस्ट्रेटों ने जारी किए थे, जो जांच में वैध साबित हुए। फिर भी, अपर शिक्षा निदेशक कुमाऊं जीएस सोन के मुताबिक, बाहर से आई बहुओं को पति के आधार पर आरक्षण नहीं मिल सकता। गौरतलब है कि हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों में ऐसे ज्यादातर मामले सामने आए हैं।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मेरिट में आने वाली सामान्य श्रेणी की महिलाओं को उनकी योग्यता के आधार पर नियुक्ति मिल चुकी है। बाकी प्रकरणों को शासन को भेजा गया है, ताकि स्पष्ट निर्देश जारी हों। होगी।
