उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर पंचायत चुनावों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए लोकतंत्र की संस्थाओं को खतरे में बताने का दावा किया। कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रावत ने चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत से ही सरकार की नीयत को संदिग्ध करार दिया और विपक्षी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव का जिक्र किया।
रावत ने कहा कि लोकतंत्र अपनी स्वतंत्र संस्थाओं पर टिका होता है, लेकिन बीजेपी इन संस्थाओं पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायत चुनावों को पहले निलंबित किया गया, फिर आरक्षण प्रक्रिया को जानबूझकर विकृत किया गया। विशेष रूप से चार जिलों में आरक्षण के चक्र से छेड़छाड़ कर राजनीतिक लाभ उठाने की साजिश रची गई। रावत के अनुसार, विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन को बिना वजह रद्द किया जा रहा है, जबकि कई स्थानों पर एक ही व्यक्ति का नाम एक से अधिक वोटर लिस्ट में होने के बावजूद उनके नामांकन स्वीकार किए गए।
हरीश रावत ने भाजपा पर लगाए आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रावत ने पुलिस और प्रशासन पर सत्ताधारी दल के पक्ष में काम करने का सीधा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक मशीनरी को भाजपा के इशारों पर नाचने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। रावत ने कुछ विशिष्ट घटनाओं का हवाला दिया, जिनमें बेतालघाट में गोलीबारी की घटना, अल्मोड़ा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को धमकियां मिलना और नैनीताल में कार्यकर्ताओं को जबरन उठाने के मामले शामिल हैं। इन घटनाओं को उन्होंने चुनावी हिंसा और दबाव का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं।
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हरीश रावत ने आगे कहा कि बीजेपी की यह रणनीति न केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है, बल्कि राज्य की राजनीतिक संस्कृति को भी प्रदूषित कर रही है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों से एकजुट होकर इन अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की। रावत ने चुनाव आयोग से भी हस्तक्षेप की मांग की, ताकि पंचायत चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो सकें।
