केदारनाथ मंदिर के सामने डांस: आस्था का बाजारीकरण या पर्यटन का दुरुपयोग?

उत्तराखंड के पवित्र चार धामों में से एक, केदारनाथ मंदिर, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, हमेशा से श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र रहा है। लेकिन हाल ही में एक घटना ने इस पवित्र स्थल की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कुछ लोग केदारनाथ मंदिर के प्रांगण में डीजे की धुन पर डांस करते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि देश भर के श्रद्धालुओं में नाराजगी पैदा की है।
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केदारनाथ मंदिर के सामने डांस
X यूजर @LusunTodariyaUK ने 5 मई, 2025 को एक वीडियो साझा किया, जिसमें एक व्यक्ति केदारनाथ मंदिर के सामने डीजे की धुन पर डांस कर रहा है। पोस्ट के साथ लिखा गया, “डीजे वाले बाबू मेरा गाना बजा दे। निस्वार्थ भाव से मुझको केदारनाथ मंदिर के सामने नचवा दे। क्या केदारनाथ मंदिर प्रांगड़ में ऐसा करना सही है? #Kedarnath #kedarnathtemple”। इस पोस्ट ने तुरंत लोगों का ध्यान आकर्षित किया और कई लोगों ने इस व्यवहार को आस्था के प्रति अनादर करार दिया।
वीडियो में मंदिर का भव्य स्वरूप और उसके आसपास बर्फ से ढके पहाड़ दिखाई दे रहे हैं, लेकिन मंदिर के ठीक सामने नृत्य करते लोग इस पवित्र स्थल की शांति और मर्यादा को भंग करते प्रतीत हो रहे हैं।लोगों की प्रतिक्रियाएं: नाराजगी और चिंताइस वीडियो के बाद X पर प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया। @neeruJoshii ने लिखा, “आस्था का बाजारीकरण, बाबा केदार सदबुद्धि दें।” वहीं, @HimalayVaasi ने इसे 2013 की प्राकृतिक आपदा से जोड़ते हुए कहा, “यही बकचोदी के लिए टूरिज्म खोला था, वैसे ही पहाड़ का क्षेत्र है, कोई आश्चर्य नहीं कि 2013 एक चेतावनी थी।”
केदारनाथ बन गया टूरिस्ट स्पॉट
कई यूजर्स ने इस घटना को उत्तराखंड सरकार और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की नीतियों से जोड़ा। @PraveeNSingHKa2 ने लिखा, “अब केदारनाथ सिर्फ एक टूरिस्ट प्लेस बन गया है, @BJP4India सरकार ने उसकी कोई आस्था नहीं छोड़ी। आज तक की सबसे बेकार सरकार @pushkardhami सरकार रही है।” इसी तरह, @27Banarasi ने चिंता जताते हुए कहा, “महान काल में अब बाबा का धाम – धाम ना रहा, अब लोग श्रद्धा से नहीं जाते, वहाँ अब जाते हैं नाचने और खुद को तथाकथित महादेव भक्त का दिखावा करने। धामी सरकार और सम्राट ने प्रण लिया है जब तक देवभूमि को दानव भूमि नहीं बना देंगे, चैन से नहीं बैठेंगे।”
केदारनाथ मंदिर, जो 1200 साल से भी अधिक पुराना है, न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ते पर्यटन और सोशल मीडिया के प्रभाव ने इस स्थान की पवित्रता को प्रभावित किया है। कई लोग अब इसे एक पिकनिक स्पॉट या सोशल मीडिया रील्स बनाने की जगह के रूप में देखने लगे हैं।
गढवालियों की विफलता
@rahul__1612 ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ये वो लोग हैं जो भक्ति के लिए बस दिखावे और एंजॉयमेंट के लिए आते हैं। अगर यही सब करना है तो उत्तराखंड में और भी काफी जगहें हैं, वहां जाएं, लेकिन केदारनाथ और बाकी सभी धार्मिक स्थानों की मर्यादा तो बनाकर रखो कम से कम।”
यह घटना एक बड़े सवाल को जन्म देती है – क्या पर्यटन के नाम पर हम अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की कीमत चुका रहे हैं? @JohnSnow4720 ने इस मुद्दे को गढ़वाली समुदाय की विफलता से जोड़ा और कहा, “हम गढ़वाली एक असफल समुदाय हैं, मैं इसे सबूत के साथ कहता हूँ। हमारे मंदिर खुले, बाहरी लोग प्रदर्शन करते हैं, हम दूसरों की संस्कृति का उत्सव मनाते हैं, लेकिन अपनी संस्कृति और मंदिरों को संरक्षित नहीं कर पाते। यह अब पिकनिक स्पॉट बन गया है।”
केदारनाथ मंदिर के सामने हुई इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम अपनी आस्था और संस्कृति को कितना महत्व देते हैं। यह समय है कि हम पर्यटन और आस्था के बीच संतुलन बनाएं, ताकि देवभूमि उत्तराखंड अपनी पवित्रता और गरिमा को बरकरार रख सके। बाबा केदार की यह पवित्र भूमि नृत्य और मनोरंजन का स्थान नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बनी रहनी चाहिए।