उत्तराखंड सरकार ने आवश्यक सेवाओं में हड़ताल पर रोक लगाने वाला ESMA (Essential Services Maintenance Act) लागू कर दिया है। इसके बाद राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में चल रहा UPnl (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) कर्मचारियों का धरना अब अवैधानिक माना जाएगा।
सैनिक कल्याण विभाग के सचिव ने UPnl के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर ‘नो वर्क नो पे’ नीति का सख्त पालन करने के निर्देश जारी किए हैं। इसका मतलब है कि जो कर्मचारी धरने में शामिल होंगें, उन्हें अनुपस्थित मानकर वेतन नहीं दिया जाएगा।
कांग्रेस का समर्थन, सरकार पर निशाना
धरना स्थल पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल पहुंचे और कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया। गोदियाल ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की जायज मांगों को कुचलने की कोशिश कर रही है, लेकिन कांग्रेस इस लड़ाई में उनके साथ खड़ी है
अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड में ESMA लागू करने का उद्देश्य राज्य की आवश्यक सेवाओं में बाधा रोकना है, क्योंकि कई सरकारी विभागों में UPnl कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर सरकार से उम्मीद कर रहे UPnl कर्मचारियों के लिए यह फैसला झटका साबित हुआ है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार अगले कदम के रूप में क्या रुख अपनाती है।
