उपनल कर्मचारियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब धामी सरकार पर उपनल कर्मचारियों को नियमित करने का दबाव और बढ़ गया है।
पहले ही उत्तराखंड हाईकोर्ट सरकार को उपनल कर्मचारियों की सेवा नियमावली बनाने और समान काम के बदले समान वेतन देने के आदेश दे चुका है। लेकिन सरकार ने इन आदेशों को लागू करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के बाद मामला और गर्मा गया है।
सड़कों पर उतरे उपनल कर्मचारी
राज्यभर में उपनल कर्मचारी पिछले कई दिनों से सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य स्थापना दिवस के बाद से ही ये कर्मचारी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और नियमितीकरण की मांग पर अडिग हैं। सरकार ने हाल ही में मंत्रिमंडलीय समिति बनाकर इस मुद्दे पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि अब वादों से नहीं, ठोस नीति से ही बात बनेगी।
उपनल कर्मचारियों का कहना है कि वे कई वर्षों से विभिन्न विभागों में लगातार सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें ना तो स्थायी दर्जा मिला है और ना ही समान वेतन। विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि सरकार को हाईकोर्ट के आदेशों के अनुरूप जल्द नीति बनाकर सभी उपनल कर्मचारियों का नियमितीकरण करना चाहिए।
उत्तराखंड उपनल कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत
पहले भी सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है। अब रिव्यू पिटीशन भी खारिज होने के बाद सरकार के पास सीमित विकल्प बचे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार को कोई ठोस फैसला लेना ही होगा, वरना कर्मचारियों का आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
