उत्तराखंड की पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करने वाले एक मामले में राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने बड़ा फैसला सुनाया है। प्राधिकरण ने पिथौरागढ़ के तत्कालीन एसएसपी और हाल ही में इस्तीफा दे चुके आईपीएस अधिकारी लोकेश्वर सिंह को गंभीर कदाचार, प्रताड़ना और शक्ति के दुरुपयोग का दोषी पाया है। प्राधिकरण ने राज्य सरकार को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए है।
यह है पूरा मामला
मामला 6 फरवरी 2023 का है। शिकायतकर्ता, आरटीआई कार्यकर्ता एवं कपड़ा व्यापारी लक्ष्मी दत्त जोशी ने पुलिस लाइन्स परिसर की गंदगी को लेकर तत्कालीन एसएसपी लोकेश्वर सिंह से शिकायत की थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि सिंह ने उन्हें अपने कार्यालय के पास एक ऐसे कमरे में बुलाया जहां CCTV कैमरा नहीं था, और वहां उन्हें नग्न कर मारपीट कर प्रताड़ित किया गया। जोशी ने उसी दिन जिला चिकित्सालय में अपनी मेडिकल रिपोर्ट और एक्स-रे कराए, जिसमें चोटों के निशान 12–24 घंटे के भीतर के बताए गए।
प्राधिकरण ने पूर्व आईपीएस लोकेश्वर सिंह को दोषी पाया
न्यायमूर्ति एन.एस. धानिक की अध्यक्षता वाली प्राधिकरण की पीठ, जिसमें सदस्य पुस्तक ज्योति, अजय जोशी, मोहन चंद्र और दया शंकर पांडे शामिल थे, ने बुधवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाया।पीठ ने पाया कि आरोपी अधिकारी के बचाव में दिए गए बयान विश्वसनीय नहीं हैं। वहीं, शिकायतकर्ता के पास घटना के समय के मेडिकल साक्ष्य मौजूद हैं।
प्राधिकरण ने माना कि शिकायतकर्ता के साथ कार्यालय में नग्न कर बैठाने और मारपीट करने का अपराध सिद्ध हुआ है। फैसले में कहा गया कि यह कार्रवाई एक सरकारी अधिकारी के आचरण के अनुरूप नहीं है और इससे पुलिस विभाग की साख को ठेस पहुंची है। इसके आधार पर प्राधिकरण ने सरकार को संबंधित धाराओं के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
लोकेश्वर सिंह ने प्राधिकरण को लिखित प्रतिवेदन में आरोपों से इनकार किया। उन्होंने शिकायतकर्ता को “अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति” बताया और कहा कि उस दिन उससे सिर्फ पूछताछ की जा रही थी। हालांकि, प्राधिकरण ने पाया कि सिंह अपने पक्ष में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके, इसलिए उनके दावे अविश्वसनीय माने गए।
पूर्व में दे चुके है इस्तीफा
गौरतलब है कि लोकेश्वर सिंह ने अक्टूबर 2025 में पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था, reportedly किसी संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था में कार्य अवसर के कारण। केंद्र सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि आरोपी अधिकारी सेवा से बाहर हैं, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई कैसे और किस स्तर पर प्रभावी होगी। इस मुद्दे पर राज्य सरकार के गृह विभाग को अब निर्णय लेना है।
