Delhi air pollution: दिल्ली-NCR में सर्दियों का मौसम आते ही हवा जहरीली हो गई है। आजकल AQI 400 से ऊपर पहुंच गया है, जिससे पूरा शहर धुंध की सफेद चादर में डूबा नजर आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों, बुजुर्गों और सांस रोगियों को घर से बाहर न निकलने की सख्त हिदायत दी है। सड़कों पर विजिबिलिटी घटने से ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं बढ़ गई है।
दिल्ली की हवा खराब होने के मुख्य कारण
दिल्ली की हवा खराब होने का सबसे बड़ा कारण पड़ोसी राज्यों से आ रहा पराली का धुआं है। पंजाब-हरियाणा के किसान फसल कटाई के बाद खेतों को जलाते हैं, जिसका असर सीधे दिल्ली पर पड़ता है। शहर में वाहनों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, जिनके धुएं से PM2.5 का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। फैक्ट्रियों का काला धुआं, निर्माण स्थलों की धूल और ठंडी हवाओं के कारण प्रदूषक हवा में लटक जाते हैं। सर्दियों में हवा की स्पीड कम होने से ये कण आसानी से साफ नहीं होते।
स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
इस जहरीली हवा से सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोग आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी और सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं। बच्चे और अस्थमा वाले मरीज सबसे ज्यादा खतरे में हैं, क्योंकि छोटे कण फेफड़ों तक पहुंचकर स्थायी नुकसान पहुंचाते हैं। डॉक्टर बता रहे हैं कि दिल की बीमारियां, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। अस्पतालों में ओपीडी में मरीजों की लाइन लगी हुई है।
सरकार के प्रयास और स्थायी उपाय
GRAP के तहत स्कूल बंद कर दिए गए हैं, ऑड-ईवन स्कीम लागू हो गई है और निर्माण कार्य रुक गए हैं। सरकार किसानों को बेलर मशीनें और सुपर सीडर दे रही है ताकि पराली न जलाएं। इलेक्ट्रिक बसें और वाहनों पर सख्त जांच बढ़ाई जा रही है। आम नागरिक मास्क पहनें, कार पूल करें, पेड़ लगाएं और घर पर एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें। लंबे समय के लिए वन क्षेत्र बढ़ाना और इंडस्ट्री को बाहर शिफ्ट करना जरूरी है। अगर सब मिलकर कोशिश करें तो दिल्ली की हवा फिर से साफ हो सकती है।
