उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए गए पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें सशर्त जमानत दे दी। अदालत का यह आदेश आते ही देशभर में बहस छिड़ गई और पीड़िता पक्ष ने इस फैसले को “न्याय के लिए झटका” बताया।
क्या कहा हाईकोर्ट ने
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सेंगर एक निर्वाचित प्रतिनिधि थे, लेकिन पोक्सो (POCSO) एक्ट के प्रावधानों के अनुसार उन्हें “सार्वजनिक सेवक” नहीं माना जा सकता। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें इस आधार पर दोषी ठहराया था, जिसे हाईकोर्ट ने कानूनी रूप से गलत व्याख्या माना। न्यायालय ने यह भी कहा कि मामले में “गंभीर यौन उत्पीड़न” की जगह “यौन हमला” माना जाएगा, जिसकी न्यूनतम सजा 7 साल है।
जमानत की शर्तें
कोर्ट ने सेंगर को राहत देते हुए कई कड़ी शर्तें लगाई हैं। उन्हें 15 लाख रुपये का पर्सनल बॉन्ड और तीन ज़मानतदार देने होंगे। दिल्ली में रहना अनिवार्य होगा और हर सोमवार स्थानीय थाने में हाजिरी देनी होगी। पीड़िता या उसके परिवार के किसी सदस्य से संपर्क करना या उनके घर के 5 किमी क्षेत्र में दाखिल होना मना है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि किसी भी शर्त के उल्लंघन पर जमानत तुरंत रद्द कर दी जाएगी।
निर्णय के बाद उन्नाव पीड़िता ने कहा कि “मेरा परिवार कई सालों से भय और संघर्ष में जी रहा है। कोर्ट का यह फैसला हमारे ज़ख्मों को फिर हरा कर गया।”
दिल्ली, लखनऊ और कानपुर में कई महिला संगठनों ने प्रदर्शन किया और हाईकोर्ट के फैसले की आलोचना की। वहीं, सोशल मीडिया पर भी #JusticeForUnnaoVictim ट्रेंड कर रहा है।
उन्नाव रेप केस मामला
गौरतलब है कि 2017 में उन्नाव की एक नाबालिग लड़की ने पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर अपहरण और बलात्कार का आरोप लगाया था। इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था और सुप्रीम कोर्ट ने केस दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। 2019 में सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जो अब तक जारी थी।
