Chamoli News: उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर इलाके में 17 सितंबर की रात एक भयानक आपदा ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। बादल फटने से आई बाढ़ ने कई घर उजाड़ दिए, लोग अपनों को खो बैठे और जीवनभर की कमाई पानी में बह गई। इस तबाही ने सेरा गांव की नीमा गुसाईं जैसी कई जिंदगियों को झकझोर दिया, जिनकी शादी बस कुछ दिनों बाद होने वाली थी। घर को रंग-रोगन से सजाया गया था, शादी का सामान जुटाया गया था, लेकिन सब कुछ मलबे में बदल गया।
24 सितंबर को थी नीमा की शादी
सेरा गांव में महिपाल गुसाईं का परिवार इस आपदा की चपेट में आ गया। उनका घर तेज बहाव वाली बाढ़ में बह गया, जिसमें 6 अन्य घर भी शामिल थे। महिपाल की बेटी नीमा की 23 सितंबर को मेहंदी और 24 सितंबर को शादी तय थी। शादी पोखरी विकासखंड के कलसीर गांव में होनी थी। घर को चमकाया गया था, साड़ियां, जेवरात, खाने-पीने का सामान सब कुछ तैयार था। लेकिन रात के अंधेरे में आई बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया। घर आधा टूटकर पानी में समा गया, गौशाला भी बह गई। जहां कभी शादी की चहल-पहल की तैयारी चल रही थी, वहां अब सिर्फ मलबा और सन्नाटा है।
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नीमा के पिता महिपाल गुसाईं ने बताया, “उस रात मैं, मेरा बेटा और बेटी गोपेश्वर में थे। घर पर सिर्फ पत्नी थी, जो शादी की तैयारियां संभाल रही थी। गुरुवार को हमें सेरा जाना था, लेकिन बुधवार रात बादल फटने से सब बर्बाद हो गया। खुशकिस्मती से पत्नी बच गई, लेकिन घर का सारा सामान बह गया। अब शादी कैसे होगी, कुछ समझ नहीं आ रहा।
अभी तक पांच शव बरामद
यह रात नंदानगर के लोगों के लिए कभी न भूलने वाली बन गई। रात करीब 2 बजे बादल फटने से पानी का स्तर तेजी से बढ़ा। कुंतरी, लगा फाली, सेरा और धुर्मा जैसे इलाकों में भारी तबाही मची। कई लोग लापता हो गए। अब तक 5 शव मिल चुके हैं, जबकि एक व्यक्ति को 16 घंटे बाद जिंदा निकाला गया। बाकी लापता लोगों की तलाश तेजी से चल रही है। लोग अपनों को खोने के दर्द में डूबे हैं, आंसू थम नहीं रहे। वे कहते हैं, “भगवान, ये क्या हो गया? हमारी जिंदगी की सारी पूंजी बह गई।”
प्रशासन इस मुश्किल घड़ी में लोगों के साथ खड़ा है। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार लगातार इलाके में मौजूद हैं। राहत सामग्री जैसे खाना-पीना पहुंचाया जा रहा है। घायलों को हेलिकॉप्टर से अस्पतालों में भेजा गया। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस के जवान मलबा हटाकर लोगों की मदद कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही हालात सुधरेंगे, लेकिन इस आपदा ने जो जख्म दिए हैं, वे आसानी से नहीं भरेंगे।






