उत्तराखंड के पवित्र तीर्थस्थल बद्रीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 25 नवंबर 2025 को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर शीतकालीन अवकाश के लिए बंद किए जाएंगे। यह दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि कपाट बंद होने के बाद भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति जोशीमठ स्थित योगाध्यान बद्री मंदिर में सुरक्षित रखी जाती है और धाम में शीतकालीन पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो जाता है।
कपाट बंद करने से पहले 21 नवंबर से ‘पंच पूजा’ का शुभ कार्यक्रम होता है, जिसमें भगवान गणेश, मां पार्वती, भगवान विष्णु, भगवान सूर्य और अन्य देवी-देवताओं की पूजा होती है। पूजा के बाद ‘बलि भोग’ और ‘भोग आरती’ जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। ये सभी परंपराएं शास्त्रों के अनुसार धाम के शीतकालीन आवरण के लिए आयोजित की जाती हैं।
श्रद्धालु इस अवसर से पहले तीर्थ यात्रा करते हुए बद्रीनाथ धाम के दर्शन और पूजा-अर्चना कर पाते हैं। कपाट बंद होने के बाद अप्रैल या मई 2026 में नया यात्रा सत्र शुरू होने तक धाम बंद रहता है, जब कपाट फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने का यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ स्थानीय संस्कृति का भी प्रतीक है। यह पर्व न केवल श्रद्धा का बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण काल होता है।
