16 साल बाद गांव लौटा चमोली का राजेश, पंजाब में बनाया था बंधक

उत्तराखंड के चमोली जिले के नारायणबगड़ क्षेत्र के कौब गांव में एक मां और बहन की आंखें उस समय खुशी और राहत के आंसुओं से भर गईं, जब 16 साल बाद उनका लाडला बेटा और भाई, राजेश लाल, पंजाब के तरनतारन जिले में भैंसों के तबेले में बंधुवा मजदूरी से मुक्त होकर घर लौटा। यह हृदयस्पर्शी पुनर्मिलन रतन देव सेवा संगठन के प्रमुख जगदीश सिंह और उनकी टीम के अथक प्रयासों से संभव हो सका, जिन्होंने राजेश को न केवल बंधन से मुक्त कराया, बल्कि उसे उसके परिवार से मिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

16 साल पहले शुरू हुआ दर्दनाक सफर

साल 2008 में, बेहतर रोजगार की तलाश में राजेश लाल अपने गांव कौब से पंजाब के लिए निकला था। वहां उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसने उसे भैंसों के तबेले में काम करने का लालच दिया। मगर यह नौकरी जल्द ही राजेश के लिए एक भयावह सपना बन गई। तबेले के मालिक ने उसे बंधक बनाकर रखा और उसका शारीरिक व मानसिक शोषण शुरू कर दिया। राजेश ने एनजीओ की टीम को बताया कि मालिक न केवल उसे कम मजदूरी देता था, बल्कि मारपीट और अमानवीय व्यवहार भी करता था। इन 16 सालों में राजेश अपने परिवार से पूरी तरह कट गया, और परिवार को उसकी कोई खबर नहीं मिली।

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सोशल मीडिया वायरल हुआ वीडियो

राजेश की दयनीय स्थिति की जानकारी रतन देव सेवा संगठन को मिली। संगठन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राजेश को तरनतारन के तबेले से रेस्क्यू किया। एनजीओ ने राजेश की आपबीती को एक वीडियो के माध्यम से सोशल मीडिया पर साझा किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया। इस वीडियो ने न केवल लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि प्रशासन को भी हरकत में लाने के लिए मजबूर किया।

बंधक बनाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी को राजेश की हर संभव सहायता करने के निर्देश दिए। इसके बाद थराली तहसील की एक टीम ने राजेश के परिवार से मुलाकात की और उनकी स्थिति का जायजा लिया। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि तबेले के मालिक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राजेश को पुनर्वास और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।

16 साल बाद लौटा चमोली का राजेश

जब राजेश 16 साल बाद अपने गांव कौब लौटा, तो उसकी मां और बहन उसे देखकर अपने आंसुओं को रोक न सकीं। मां ने अपने बेटे को गले लगाकर खोए हुए समय का दर्द और पुनर्मिलन की खुशी एक साथ व्यक्त की। गांव में भी इस पुनर्मिलन की खबर फैलते ही लोग राजेश के घर उमड़ पड़े। यह पल न केवल राजेश और उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक भावनात्मक और प्रेरणादायक क्षण बन गया।

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