उत्तराखंड में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बेटे ने टिहरी झील में क्रूज बोट और नौका चलाने को लेकर डाले गए आवेदन पत्र की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ते जा रहा है। इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया वहीं रह सवाल भी उठाया जा रहा कि आखिर किस तरह पर्यटन मंत्री के बेटे का आवेदन स्वीकार किया गया। वहीं बढ़ते विवाद को देखते हुए सतपाल महाराज को आगे आने पड़ा।
टिहरी क्रूज मामले में सतपाल महाराज ने दी सफाई
वहीं अब टिहरी झील में क्रूज मामले में बेटे को लेकर सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में रखे गए इंवेस्टर सबमिट से प्रभावित होकर छोटे बेटे ने यहां पैसा इन्वेस्ट करने का विचार किया था और उसी विचार के तहत उसने पॉसिबिलिटी को एक्सप्लोर करते किया। ताडा के अंदर 25 लोगों ने टेंडर लिए थे। जिसमें बोट, क्रूज इत्यादि के टेंडर शामिल थे। जिसमें बेटे ने क्रूज के टेंडर के लिए छोटी बोट के लिए एक टेंडर के लिए आवेदन किया था। भरे गए 25 आवेदन में से 6 काबिल पाए गए, जो स्वीकृत किए गए हैं और उन पर विचार करने को आगे रखा गया है।
उन्होंने आगे कहा का पीएम मोदी को हम सभी अपना प्रतीक मानते हैं और वह हमेशा प्रेरणा देते हैं कि कमल की तरह स्वच्छ रहो। मेरे पुत्र द्वारा भरे गए टेंडर में सारे कार्य नियमित रूप से किया गया है। सभी प्रक्रियाओं का सही से पालन किया गया तथा ना ही किसी भी नियम का उल्लघंन किया गया है। फिर भी मैं अपने बेटे से यह आवेदन वापस लेने का आग्रह करूंगा।
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कांग्रेस ने लगाए आरोप
इस मामले में कांग्रेस ने जिलाधिकारी पर भी आरोप लगाया कि कैसे उन्होंने यह आवेदन सफल माना लिया। क्या यह कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट नहीं है। वैसे तो भाजपा परिवारवाद की बहुत बातें करते हैं लेकिन क्या यह परिवारवाद नहीं है। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि नियमों को ध्यान में रखते हुए यदि यह टेंडर लिया गया है तो इसे स्वीकार किया जा सकता है परंतु यदि केवल मंत्री के बेटे की वजह से नियमों की अवेहलना की गई तो इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात उत्तराखंड में नहीं हो सकती।