Uttarakhand: टिहरी गढ़वाल के 70 गांवों के लोगों की जिंदगी एक ट्रॉली के सहारे

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Uttarakhand: उत्तराखंड की खूबसूरती देश से लेकर विदेश तक प्रसिद्ध है। अब सोशल मीडिया के जमाने में हर व्यक्ति पर्वतीय राज्य(Uttarakhand) की असीम सुंदरता को दिखाते है। लेकिन,क्या कभी पहाड़ के लोगों की पीड़ा के बारे में कभी किसी ने सोचा है? कैसे लोग हसीन वादियों में मूल सुविधाओं के बिना अपना जीवन व्यतीत करते हैं ? देहरादून और टिहरी गढ़वाल जिले की सीमा के आस पास बसे 70 गांवों के लोग ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत कर रहे है। जो नदी पार करने के लिए एक ट्रॉली पर निर्भर है।

बच्चे से लेकर जवान और बूढ़े सभी का सहारा एक ट्रॉली

टिहरी गढ़वाल जिले के सोनधार गांव में रहने वाले सभी लोगों की जिंदगी रोपवे और रस्सी से चलने वाली ट्रॉली पर निर्भर है। यह सब जानकर आप सभी को ऐसा लग रहा होगा की यह गांव दुनिया से अलग कट कर रहता हैं। यह बात एकदम सही है क्योंकि यहां का हाल कुछ ऐसा ही है। हैरान करने वाली बात यह है कि जब सोंग नदी अपने पूरे उफान पर बहती है तब गांव का दुनिया से बचा हुआ संपर्क भी टूट जाता है। 

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अस्थायी तौर पर तैयार हुई थी ट्रॉली

हिलासवाली गांव वासियों का कहना है कि सरकार ने करीब 15 साल पहले ट्रॉली से आवाजाही की व्यवस्था को अस्थायी तौर पर तैयार किया था। ऐसा लगता है जैसे सरकार इन गांव को भूल ही गई है। लोगों की पीड़ा यही तक नहीं है। गांव में जंगली जानवरों का भी बड़ा खतरा है जिसके कारण बच्चों को उनके माता पिता रोज लेने और छोड़ने जाते है। 

स्वस्थ केंद्र तक जाने का सहारा भी ट्रॉली 

गांव के लोगों को काम के सिलसिले, पढ़ने लिखने और स्वास्थ्य केंद्र तक जाने के लिए केवल इसी एक ट्रॉली का सहारा है जिसमे एक बारी में केवल एक ही व्यक्ति जा सकता है। ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि कोई गंभीर रूप से बीमार हो तो वह व्यक्ति स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में ही अपने प्राण त्याग देगा।

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