Uttarakhand Landslide: राज्य के 52 एक्टिव भूस्खलन क्षेत्रों का होगा अध्ययन
Uttarakhand Landslide: उत्तराखंड में इस वर्ष मानसूनी बरसात से भारी तबाही देखने को मिली। इस साल बारिश के पैटर्न में भी बदलाव हुआ है। जून जुलाई के महीने में होने वाली बारिश इस साल सितंबर महीने में हुई है। भूस्खलन से जान माल को बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। आपदा में अब तक 77 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है जबकि 37 लोग घायल हैं। इसके अलावा 23 लोग लापता है।
राज्य सरकार ने भूस्खलन की समस्या पर ध्यान केंद्रित किया है। मौजूदा 52 बड़े भूस्खलन क्षेत्रों का अध्ययन सरकार विशेषज्ञ द्वारा कराने जा रही है। अध्ययन में भूस्खलन(Uttarakhand Landslide Research) की रोकथाम पर भी काम किया जाएगा।
भूस्खलन के 52 सक्रिय क्षेत्र है
इस साल के बारिश के मौसम में राज्य में जगह-जगह भूस्खलन हुए हैं। यह वर्तमान समय में भी जारी है। इन सभी में से 52 बड़े भूस्खलन क्षेत्र का अध्ययन सरकार करने जा रही है। इन सभी स्थानों पर 31 मई से लेकर 16 सितंबर के मध्य भूस्खलन हुआ है।
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उत्तराखंड लैंड स्लाइड मिशन एंड मैनेजमेंट सेंटर के विशेषज्ञ कुछ दिनों में भूस्खलन क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। विशेषज्ञों से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर भूस्खलन सक्रिय क्षेत्र में भविष्य में रोकथाम पर भी कार्य शुरू किए जाएंगे। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में हर साल मानसून सीजन में भारी तबाही होती है।
इस साल गई 77 लोगों की जान
राज्य में अत्यधिक बारिश होने के कारण जानमाल की हानि हुई है। जगह-जगह बादल फटने से लोगों के घर समेत खेत और अन्य संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है।सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष आपदा में अब तक 77 लोगों की जान चली गई है। जबकि 37 लोग घायल है। इसके अलावा 23 लोग लापता है। साथ ही 469 छोटे बड़े पशुओं की भी मृत्यु हुई है। इसके अलावा 2,800 घरों को नुकसान पहुंचा है।
एक ही स्थान पर दो बार हुआ भूस्खलन
राज्य में इस बार 500 से अधिक छोटे-बड़े स्थान पर भूस्खलन हुआ है। इन सभी में से 52 स्थान ऐसे हैं जहां बड़े भूस्खलन हुए हैं। इनमें चार स्थानों पर एक से ज्यादा बार भूस्खलन हुआ है। राज्य सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया है। उम्मीद है कि अगले साल मानसून सीजन में पहाड़ों में मानव हस्तक्षेप के कारण न के बराबर तबाही होगी।