SDG Report में Uttarakhand बना अव्वल, वास्तविकता में हुआ fail

Uttarakhand SDG Report
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SDG Report Uttarakhand: उत्तराखंड राज्य ने सतत विकास लक्ष्य 2023-24(SDG Report Uttarakhand) में पहला स्थान हासिल किया है। राज्य सरकार उत्तराखंड की इस उपलब्धि से काफी खुश हुई थी। लेकिन असल में सच्चाई कुछ और ही है। सतत विकास लक्ष्य का मकसद गरीबी को खत्म करना, भुखमरी की समाप्ति, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अच्छा स्वास्थ्य और जीवन शैली हासिल करना है। हमारे राज्य उत्तराखंड को इसमें पहला स्थान मिला है। जबकि पर्वतीय राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था एकदम लाचार और खोखली है। उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है, ऐसे में केवल शहरों का विकास करना और पहाड़ी गांव को नजरअंदाज करना पहाड़ों के साथ नाइंसाफी है।

राज्य में आए दिन गांव तक सड़क न पहुंचने के कारण बीमार ग्रामीणों को अक्सर लोग कंधे पर बैठाकर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाते हैं। कई बार ऐसे हालात देखे गए हैं जब गर्भवती महिलाओं ने रास्ते में ही बच्चों को जन्म दिया है। ऐसे में केवल रिपोर्ट में राज्य का अव्वल आना ग्रामीणों के लिए कोई महत्व नहीं रखता है। ऐसा ही एक और मामला श्रीनगर में देखने को मिला है। यह मामला कीर्ति नगर ब्लॉक का है। जहां गांव तक सड़क न होने के कारण ग्रामीणों ने घायल बुजुर्ग महिला को डंडी कंडी के सहारे कंधों पर लाद कर सड़क तक पहुंचाया। इसके बाद वह मरीज को बेस अस्पताल श्रीकोट में भर्ती करने के लिए ले गए।

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सड़क की मांग की जा रही अनसुनी

थाती डागर ग्राम सभा के कुलेड़ी नामक तोक के लोग लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं। रोजाना लोगों को गांव तक पहुंचाने के लिए 3 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पर करनी पड़ती है। दिखावे मात्र के लिए गांव तक सड़क स्वीकृत है लेकिन आज तक मार्ग का कार्य नहीं हो पाया है। लाचार लोग लंबे समय से मार्ग बनने का इंतजार कर रहे हैं।

पैर फिसलने से घायल हुई महिला

स्थानीय निवासी हर्षवर्धन जोशी से मिली जानकारी के अनुसार उनका 62 साल की पत्नी छाप देवी का फिसलने से पैर टूट गया था। इसके बाद उन्हें डांडी कांडी के सहारे 3 किलोमीटर पगडंडी को पार कर सड़क तक पहुंचाया गया। उन्होंने हताश होकर कहा कि हमारे गांव में जब भी कोई बीमार होता है। इसी प्रकार की परेशानी सबको झेलनी पड़ती है। ऐसा लगता है जैसे यह लोगों की नियति बन गई है।

लोगों की मांग को अनसुना कर रहे विधायक

गांव निवासियों ने अपना दुख जाहिर करते हुए बताया कि पिछले लंबे समय से उनके गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। इस बारे में स्थानीय विधायक को कई बार लोगों ने अवगत कराया है। रोड सर्वे का काम हुआ है लेकिन अभी तक सड़क नहीं बन सके। ऐसे में लोगों को रोजाना लंबा सफर पैदल ही तय करना पड़ता है।

उत्तराखंड अपने पहाड़ी गांव और क्षेत्र से ही देवभूमि कहलाता है। ऐसे में यदि ग्रामीण लोगों की मूलभूत सुविधाओं पर प्रश्नचिह्न लग जाए तो यह काफी शर्मनाक बात है।

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