स्वरोजगार के जरिए लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे उत्तरकाशी के रोबिन वर्मा

सीमांत जनपद उत्तरकाशी के नौगांव विकासखंड अंतर्गत बहुत ही दूरस्थ क्षेत्र लोदन गांव निवासी रोबिन वर्मा ने देशभर में रोजगार के लिए सड़क की खाक छानी है। कुछ समय तक वह रिलायंस की रिफाइनरी जामनगर में सेवा देते रहे। वहां उन्हें काम के बदले मेहनताना की राशि बहुत कम थी। जिससे वे अपना गुजर-बसर करना मुनासिब नहीं समझ रहे थे। जिसके बाद रोबिन ने घर वापसी का रास्ता चुना, और देहरादून आ पहुंचे।

यह भी पढ़ें- चिन्यालीसौड़ की अनुष्का डोभाल बनी मिस एंड मिस्टर टीन इंडिया

देहरादून में विभिन्न गैर सरकारी एजेंसियों में सेवाएं दी है। अधिकांश सेवाएं स्वास्थ्य संबंधित एजेंसियों में उन्होंने दी है। यहां तक कि 108 सेवा में उन्होंने कम्युनिकेशन लीड की भूमिका में भी काम किया है। उन्होंने अन्य गैर सरकारी अस्पतालों में बतौर प्रबंधक के रूप में काम किया है। लेकिन यह सब उन्हें रास इसलिए नहीं आया कि उन्हें काम के बदले पूरा पूरा मेहनताना नहीं मिल पा रहा था। रोबिन को समझ आया कि जब उनके घर गांव में जमीन है। साथ ही बागवानी के लिए अलग से जमीन है, और पहाड़ का पर्यावरण जो लगातार लोगों को स्वस्थ रखने के लिए तत्पर है, क्यों नहीं वापस अपने गांव जाकर के स्वरोजगार के लिए परंपरागत काम शुरू किए जाएं।

गांव लौटे रोबिन वर्मा

रोबिन वर्मा वापस अपने गांव लोदन पहुंचा और एक संपूर्ण प्लान बना डाला। पहाड़ के अनुरूप बहु विविध प्रकार की कृषि कार्य पहाड़ के स्वाबलंबन की कभी पहचान हुआ करती थी। सो इसी के निमित्त वर्तमान की आवश्यकताओं को देखते हुए रोबिन वर्मा ने गोटरी, पोटरी और डेयरी विकास के लिए एक व्यवस्थित प्लान बनाया और सबसे पहले मुर्गी पालन का काम शुरू कर दिया। उसके बाद बकरी पालन का काम शुरू किया, तत्पश्चात लगभग 2000 से अधिक सेब के पेड़ों वाला बाग भी तैयार कर दिया। इन सबके साथ साथ गाय पालन का काम आरंभ किया ताकि बागवानी के लिए कहीं रासायनिक खादों के लिए नहीं जाना पड़े, शुद्ध जैविक खाद से ही बागवानी व कृषि कार्य को किया जा सके। दरअसल रोबिन जैविक खेती तथा बागवानी भी कर रहा है।

कई संस्था कर चुकी सम्मानित

लगभग ढाई वर्ष पहले यह कार्य रोबिन वर्मा ने अपने ही गांव में आरंभ किया। ढाई वर्ष के पश्चात मौजूदा वक्त रोबिन के साथ एक दर्जन युवा परोक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए हैं तथा अपरोक्ष रूप से लगभग 100 युवा उनके एकीकृत स्वरोजगार योजना के साथ जुड़े हुए हैं। रवाई घाटी की यहां पहली यूनिट है जहां गोटरी, पोटरी और डेरी सहित बागवानी का काम संयुक्त रूप से किया जा रहा है। कबीले तारीफ यही है कि मात्र ढाई बरस के सफर में रोबिन वर्मा को जिले से लेकर राज्य स्तर तक के सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन सम्मानित कर चुके हैं।

खास बात यह है कि जिस उम्र में पहाड़ का अधिकांश युवा रोजगार की तलाश में मैदानों के बड़े-बड़े शहरों की ऊंची ऊंची इमारत तक की खाक छान जानते हैं और रोजगार पाने के तमाम हथकंडे अपनाते हैं, उस उम्र में सिर्फ ढाई बरस में रोबिन वर्मा ने सफलता की कहानी यूं लिख डाली। कुल मिलाकर वह स्वावलंबन की दिशा में वह स्थानीय स्तर पर रोजगार केंद्र खोलने का लगातार प्रयास कर रहे है, जबकि रोबिन क्षेत्र में पत्रकार के तौर पर भी अच्छी खासी पहचान बनाए हुए है।