पहाड़ी पिछौड़ी को सम्मान दिला रही पिथौरागढ़ की मंजू टम्टा

पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट की मंजू टम्‍टा ने पहाड़ी पिछोड़ी को पहचान दिलाने के लिए नए नए नए प्रयोग करके अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया है। दरअसल पहाड़ी पिछौड़ी उदारीकरण के दौर में पिछड़ गई थी। ग्लोबलाइजेशन के इस कठीन दौर में परंपरागत परिधान को ऊंचाई दिलाने के लिए मंजू टम्टा के संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता है।

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मंजू टम्टा ने इस परिधान को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचाने के लिए मंजू ने Pahadi EKart नाम से एक फार्म पंजीकृत की है जिसके मार्फत लोग सीधे ऑनलाइन डिमांड कर मंगवा रहे है। अर्थात इसे चाहने वाले न सिर्फ उत्तराखंडी हैं, बल्कि पिछड़ी PICHORI अब देश-दुनिया की महिलाओं की पसंद बनती जा रही है। पहाड़ी ई कार्ट से संबंधित जानकारी के लिए इस 8077700399 पर संपर्क कर सकते है।

दिल्ली में पली-बढ़ी मंजू टम्टा को पहाड़ की सौंधी पिछौड़ी के बहने वापस लेकर आई है। यही वजह है की पहाड़ी परिधानों को मंजू टम्टा Manju Tamta ने पहाड़ी ई कार्ट के नाम से स्टार्टअप शुरू किया है। Pahadi Ekart नाम के इस स्टार्टअप ने न कि सिर्फ पहाड़ी परिधानों को खरीदने की राह आसान की है, बल्कि इन्हें दुनिया के बाजार में जगह भी दिलाई है। उच्च शिक्षित मंजू को कई मल्टीनेशनल कंपनियों के ऑफर आए है, पर मंजू को तो पहाड़ी परिधान को दुनिया के बाजार में पहुंचाना है, इसलिए मंजू ने इस भारी भरकम नौकरी को बाय बाय करके पिछौड़ी वूमन व महिला उद्यमी बनने की नई इबारत लिख डाली।

साल 2015 में दिल्ली स्थित उनके छोटे भाई की शादी में परिवार की महिलाओं ने पिछौड़ी पहननी थी सो पिछौड़ी चंपावत से मंगवाई गई, लेकिन पिछौड़ी को देखकर संतुष्टि का भान नहीं हुआ। इसलिए कि महिलाओ की आन बान शान पिछौड़ी वर्तमान के दौर में पिछड़ती नजर आ रही थी। बस यहीं से उत्कंठा पैदा हुई कि पिछौड़ी को अंतर्राष्ट्रीय बाजार का हिस्सा बनाना है।

पहाड़ी पिछौड़ी को दिलाई पहचान

Pahadi E-kart की स्थापना करके मंजू ने आकर्षक और यूनिक डिजाइन करके पिछौड़ी को ऑनलाइन मार्केटिंग के मार्फत बाजार में प्रस्तुत किया। मंजू टम्‍टा के स्टार्टअप के दो पहलू सामने आए। पहला पिछौडी की परंपरागत छबि को बनाए रखना और इसे स्टाइलिश डिजाइनर लुक देना। दूसरा पिछौड़ी की पहुंच लोगों तक आसान बनाना। इसीलिए मंजू ने ऑनलाइन मार्केट का सहारा लिया।

लोहाघाट निवासी मंजू का ससुराल गंगोलीघाट पिथौरागढ़ में है। उनके पिता 45 साल पहले लोहाघाट से दिल्ली में आकर बस गए थे। दिल्ली में रहकर भी परवरिश कुमाऊंनी संस्कृति में रच बसकर हुई। यही वजह है कि वह अपनी जड़ों से जुड़ी रहीं।

लेडी इरविन स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की, वहीं श्री राम कॉलेज फॉर वुमन से इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुशन किया। इसके तुरंत बाद मंजू को ताज ग्रुप ऑफ होटल्स दिल्ली में कॉक्स एंड किंग्स के ट्रेवल डिपार्टमेंट में जॉब मिल गई।सात साल तक बतौर सीनियर मैनेजर काम किया। इन सभी संभावनाओं को छोड़कर मंजू अपनी जड़ों की ओर लौट आई और पिछौड़ी पर काम आरंभ किया। अर्थात आज मंजू टम्‍टा की डिजाइन रंगीली पिछौड़ी हर किसी को अपना कायल बना रही हैं।

2003 में मंजू विवाह के बंधन में बंधी। पति सिविल इंजीनियर थे तो स्वाभाविक वे उनके साथ श्रीनगर गढ़वाल आ गई। श्रीनगर में रहते हुए उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन और एमबीए किया। नेट क्वालिफाई किया और पीएचडी के लिए भी इनरोल हो गईं। उन्हें डिग्री कॉलेज में पढ़ाने का ऑफर मिलने लगा, लेकिन उनकी दिलचस्पी इस फील्ड में नहीं थी। 2013 में उनका परिवार देहरादून आ गया।

उल्लेखनीय यह है कि पहाड़ी E-kart सिर्फ पिछौड़ी पर ही कार्य नही कर रहा है बल्कि मंजू टम्टा के इस Pahadi E-kart के मार्फत दुनियाभर के लोग पिछौड़ी सहित टिहरी नथ, कुमाउंनी नथ व अन्य पहाड़ी डिजाइन की नथें, गुलबंद, पौंछी, मांग टिक्का, झुमकी उपलब्ध हो रही है। इसके अलावा नवरात्र को लेकर थाल पोश और पूजा से जुड़े नए उत्पाद भी बाजार में उतारे हैं। मंजू इस बात से भी खुश है कि एक तरफ उनके उत्पाद को लोग हाथो हाथ पसंद कर रहे है, दूसरी तरफ मंजू को उनके पति सहित सम्पूर्ण परिवार का सहयोग मिल रहा है।

गौरतलब यही है कि मंजू टम्टा द्वार की गई डिजायन “पहाड़ी पोटली” को इस बार हुई नरेंद्रनगर की G 20 सम्मेलन में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने विदेशी मेहमानों को सप्रेम भेंट की है।

 

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