बात वर्ष 1986-87 के आसपास की है सावन के महीने में हमारे विद्यालय के बच्चों को एक दिन पौधारोपण के लिए निकटवर्ती जंगल या विद्यालय के अंदर ही ले जाया जाता था और पौधै रोपे जाते थे यह दिन हमारे लिए खूब मौज-मस्ती का दिन हुआ करता था क्योंकि इस दिन पढाई -लिखाई नही करनी […]