गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में बागेश्वर के प्रदीप राणा का नाम दर्ज
आमतौर पर जुनूनी इंसान बनना भी एक चुनौती है। इसी चुनौती को बागेश्वर जिले के रिठाड़ गांव निवासी युवा प्रदीप राणा ने स्वीकार किया है। युवा प्रदीप बीच मे ही अपनी पढाई को छोड़कर साईकिल पर सवार हो गया और सर्वप्रथम अपने देश की परिक्रमा कर डाली। बस यहीं से प्रदीप के सिर साईकलिंग का भूत सवार हो गया। फलस्वरूप इस साईकल सवारी ने प्रदीप के खाते में ‘गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड’ भी दर्ज करवाया है।
दरअसल प्रदीप बचपन में अपने ताई के पास देहरादून आ गया था। प्राईमरी की पढाई देहरादून की संटमैरी स्कूल से पूरी करने के बाद वह अपने मूल गांव लौट आया। अपने गांव के पास से ही गरूड़ में प्रदीप ने इण्टरमीडिएट तक की पढाई पूरी की है। फिर आईटी स्नातक की पढाई के लिए देहरादून के ही ग्राफिकएरा विश्वद्यिालय में दाखिला ले लिया।
हालांकि प्रदीप पढाई में भी अबल है, किन्तु प्रदीप को समाज में कुछ अलग से करने की ललक पैदा हो गई। प्रदीप ने साईकिलिंग को अपना हुनर बनाया। सर्वप्रथम प्रदीप ने अपने माता पिता सहित शिक्षको, स्कूल के सहपाठियों को विश्वास में लिया और उन्हे सहयोग के लिए तैयार भी किया। सम्पूर्ण देश में यात्रा करके 20 हजार किमी की साईकिल यात्रा और तत्पश्चात 2019 में नेपाल, भूटान, बंगलादेश, थाईलैण्ड, म्यांमार, लाउस, वियतनाम, मलेशिया, सिंगापुर व 2022 में कम्बोडिया, अफ्रिका, किनीया, युगांडा, रवांडा, तंजानिया, बुरूंडी, जिम्बांबे सहित यूए आदि 19 देशो की साईकिल यात्रा करके 35 हजार किमी का सफर तय किया है।
इस तरह प्रदीप साईकिलिंग को ही अपना भविष्य बनाना चाहता है। प्रदीप को इस कार्य के लिए कभी भी सरकारी मदद नहीं मिली है। बल्की प्रदीप को एनआरआई, उसके शिक्षक, स्कूल के सहपाठी और प्रदीप के माता-पिता पूरी पूरी मदद करते है। प्रदीप विश्वट्रेवल करके देश के नाम कीर्तिमान हासिल करना चाहता है।
बता दें कि प्रदीप के पिताजी भी जुनूनी व्यक्तित्व के धनी है वह सपत्नी बागेश्वर के दूरस्थ गांव रिठाड़ में एक तरफ स्कूल संचालित करते हैं और दूसरी तरफ खेती किसानी के कार्य से भी जुड़े रहते है। उनका कहना है कि प्रदीप के लक्ष्य के साथ उनका सम्पूर्ण सहयोग है। उन्हे गुमान है कि उनके बेटे का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है।