OM Parvat: मनुष्य से स्वार्थी इस धरती पर शायद ही कोई होगा। प्रकृति हमे निस्वार्थ रूप से वह सब देती है जिसके कारण मनुष्य को जीवन दान मिलता है। लेकिन बदले में हम जीवन देने वाली प्रकृति को ही नुकसान पहुंचाते और जीवन दाता का ही जीवन छीन भी लेते है। देवभूमि उत्तराखंड से कुछ ऐसी ही घटना सामने आई है।
देवभूमि में भारत-चीन सीमा के करीब लिपुलेख दर्रे के पास एक पर्वत मौजूद है, जो कोई आम पर्वत नहीं है। इस पर्वत को ओम पर्वत के नाम से जाना जाता है, जो चमत्कारी और आध्यात्मिक पर्वत माना जाता है। लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी कल्पना भी शायद ही किसी ने की होगी। तकरीबन 19 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद ओम पर्वत से ओम की आकृति गायब हो गई है।
पहली बार हुई ऐसी घटना
ओम पर्वत से ओम की आकृति गायब होने की ये पहली घटना है। यह काफी असमंजस वाली स्थिति है। इसलिए क्योंकि ओम पर्व लिपुलेख दर्रे के करीब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर है। जहां पहाड़ पर साल भर ओम लिखा साफ देखा जा सकता था। लेकिन इस बार अगस्त के महीने में ही पर्वत से सफेद बर्फ पूरी तरह से गायब हो गई है। इस वजह से पहाड़ पर बर्फ से बनने वाली ओम की आकृति हट गई है।
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स्वार्थी मनुष्य इस घटना की वजह
इस घटना का कारण एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग को बताया जा रहा है। हालांकि ग्लोबल वार्मिंग के पीछे भी मनुष्य का ही हाथ है। दूसरी ओर पूर्णतः मनुष्यों की दखलंदाजी की वजह से प्रकृति को ठेस पहुंची है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस बार आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन करने के लिए करीब 30 हज़ार से अधिक श्रद्धालु उच्च हिमालय में पहुंचे थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि जरूरत से अधिक इंसानी दखल और गाड़ियों, हेलीकॉप्टर की आवाजाही ने इस संवेदनशील क्षेत्र के पर्यावरण को भयंकर रूप से प्रभावित किया है। शायद इसी का नतीजा है कि पहली बार ओम पर्वत से ओम की आकृति गायब हो गई है।
इस घटना के बाद भी यदि मनुष्य अपने स्वार्थ को कम करने का प्रयास करें तो आगे आने वाली ऐसी घटनाओं पर विराम लग सकता है।
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