बदहाली: अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में प्रसूता की मौत, करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं बना 1 ब्लडबैंक

विकास एक ऐसा शब्द जो अधिकतर आपको नेताओं और अधिकारियों के भाषणों में सुनने को मिलता होगा लेकिन जमीनी हकीकत जाननी है तो कभी चले आईए उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में, जहां आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवनयापन कर रहे हैं। गांवों तक सड़क नहीं, अस्पतालों में चिकित्सक और सुविधाएं नहीं। अखबारों के पन्नों को पलटेंगे तो बमुश्किल ही ऐसा कोई दिन होगा जब मूलभूत सुविधाओं के अभाव में किसी की जान ना गई हो। ऐसा ही कुछ हाल अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज का है। जिसे पहाड़ की लाइफलाइन कहा जाता है मगर हाल यह है कि करोड़ों खर्च होने के बावजूद इस मेडिकल कॉलेज में एक ब्लड बैंक नहीं खुल पाया। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से प्रसूता की मौत हो गई।
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जानकारी के अनुसार बागेश्वर जनपद के कपकोट निवासी सीता देवी पत्नी भुवन सिंह को स्थानीय डॉक्टरों ने प्रसव के लिए अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। 20 अक्टूबर को सीता का ऑपरेशन हुआ जिसमें उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया लेकिन सीता की हालत बिगड गई। अधिक रक्तस्राव होने से डॉक्टर ने प्रसूता के पति को खून की व्यवस्था करने के लिए कहा। मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक नहीं होने की वजह से पति भुवन सिंह खून के लिए भटकते रहा और किसी तरह जिला अस्पताल से खून की व्यवस्था हुई। अगले दिन सीता का दूसरा ऑप्शन करना पड़ा जिसके लिए फिर खून की जरूरत हुई। खून के लिए पति को फिर जिला अस्पताल के चक्कर लगाने पड़े। 28 अक्टूबर की रात को प्रसूता की मौत हो गई।
मृतका के पति का कहना है कि आखिर दोष सिस्टम को नहीं दे तो किसे दे, करोड़ों की लागत से बने मेडिकल कॉलेज में एक ब्लडबैंक नहीं है। अगर सही समय पर ब्लड मिल जाता तो शायद महिला की जान नहीं जाती।
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