मूल निवास, भू कानून और स्थाई राजधानी को लेकर गैरसैंण में हुआ महारैली का आयोजन

मूल निवास, भू कानून और स्थाई राजधानी को लेकर गैरसैंण में हुआ महारैली का आयोजन
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उत्तराखंड में काफी लंबे समय से भू कानून, मूल निवास और स्थाई राजधानी लागू करने की मांग उठ रही लेकिन सरकार की बेरुखी के चलते धीरे-धीरे यह चिंगारी भड़क रही है। इसी के चलते आज ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति द्वारा महारैली का आयोजन किया गया था। जिसमें हजारों की तादाद में दूर-दराज से महिलाएं पुरुष, स्थानीय निवासी, व्यापारिक संगठनों के लोगों ने भाग लिया। गैरसैंण पहुंचे लोगों ने रामलीला मैदान गैरसैंण से डाक-बंगला रोड होते हुए अपनी मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन व नारेबाजी की।

भू कानून, मूल निवास और स्थाई राजधानी जरुरी

मूल-निवास,भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं, कहा कि उनके इन नाकाम मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारा ये संघर्ष और लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगा,चाहे इसके लिए हमे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े। कहा कि सरकार जल्द से जल्द मूल निवास, भू कानून व स्थाई राजधानी गैरसैंण पर निर्णय ले. अन्यथा आने वाले समय में पूरे प्रदेश भर में इससे भी बड़ा जनांदोलन किया जायेगा।

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शहीद आंदोलनकारियों को किया याद

संघर्ष समिति ने गैरसैंण के रामलीला मैदान में आयोजित महारैली की शुरुआत से पहले राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलकारियों को श्रद्धांजलि दी। महारैली की शुरुआत करते हुए संघर्ष समिति ने राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लिया और बीजेपी, कांग्रेस तथा उत्तराखंड क्रांति दल को राज्य के साथ छलावा करने वाली पार्टी बताया।

बॉबी पंवार ने दिया समर्थन 

आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि आज ये लड़ाई प्रदेश के अस्त्तित्व को बचाने की लड़ाई बन चुकी है। बॉबी ने कहा कि हमे इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ने की आवश्यकता है, जिससे हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके। कहा कि हमारी ये लड़ाई मूल निवास, भू कानून ,स्थायी राजधानी गैरसैंण व अपने जल-जंगल,रोजगार को बचाने की लड़ाई है। कहा कि यह आंदोलन एक जन-आंदोलन है। वक्त आ गया है कि हमे अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए एक होना होगा।

भू कानून, मूल निवास और स्थाई राजधानी जरुरी

मूल-निवास,भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं, कहा कि उनके इन नाकाम मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारा ये संघर्ष और लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगा,चाहे इसके लिए हमे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े। कहा कि सरकार जल्द से जल्द मूल निवास, भू कानून व स्थाई राजधानी गैरसैंण पर निर्णय ले. अन्यथा आने वाले समय में पूरे प्रदेश भर में इससे भी बड़ा जनांदोलन किया जायेगा।

डेमोग्राफी में हो रहा बदलाव 

संघर्ष समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि लगातार उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो रही है। कहा कि प्रदेश से पलायन होने के बावजूद 40 लाख बाहरी लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी बन गए हैं। जिस कारण आज हमारे रोजगार पर भी बाहरी लोगों द्वारा डाका डाला जा रहा है। यही कारण है कि आज प्रदेशवासी मूल-निवास, सशक्त भू कानून की मांग कर रहा है। कहा कि गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए जिससे पहाड़ों की मूल भूत समस्याओं का समाधान हो सके।

लुसन टडोरिया ने कहा कि आज की महारैली ने पहाड़ व पूरे उत्तराखंड को जगाने का काम किया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द उत्तराखंड में मूल निवास व सशक्त भू कानून लागू किया जाय।

यूकेडी को झेलना पर विरोध

जनसभा के बीच उत्तराखंड क्रांति दल के दर्जन भर कार्यकर्ता अपने झंडों के साथ जनसभा स्थल पर पहुंच गए। जिसका मौजूद जनता व संघर्ष समिति ने जमकर विरोध किया। कहा कि पूर्व में ही यह तय किया गया था कि यह आंदोलन पूर्ण रूप से गैर राजनीतिक आंदोलन है। जिसमें किसी भी पार्टी का झंडा नही लाया जायेगा।

इस बीच अपने झंडों के साथ पहुंचे यूकेडी के दर्जन भर कार्यकर्ताओ को विरोध का सामना करना पड़ा व जनता ने उन्हें खूब-खरी खोटी सुनाई व उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं को जनसभा स्थल से बाहर खदेड़ दिया। इस दौरान हाथापाई तक की नौबत आ गयी व आपस में गहमागहमी हो गई। वहीं सभा स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों को भी आंदोलनकारियों को समझाने में खूब पसीना बहाना पड़ा।

कांग्रेस नेता का किया विरोध

 वहीं दूसरी और महारैली में पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी संघर्ष समिति के विरोध का सामना करना पड़ा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लेते हुए उनसे सवाल किए कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय मूल-निवास, भू-कानून व गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित क्यों नहीं किया गया

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