बागेश्वर में जोशीमठ जैसे हालात,घरों में पड़ी दरार, हो रहा अवैध खनन

बागेश्वर
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बागेश्वर: प्रकृति निस्वार्थ भाव से मनुष्यों की हर जरूरत पूरी करती है। लेकिन दूसरी ओर मनुष्य स्वार्थी होकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता आ रहा है। कुछ वर्ष पूर्व मानव के हस्तक्षेप से चमोली के जोशीमठ का विनाश हो गया है। अब बागेश्वर से भी ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल रही है। जहां पर घरों में दरारें पड़ रही है। एक या दो नहीं बल्कि 131 परिवारों का जीवन खतरे में है।यह खतरा खड़िया खनन से हो रहा है।

क्या होता है खड़िया खनन?

खड़िया सफेद रंग का पाउडर पदार्थ होता है। जिसका उपयोग सबसे ज्यादा कॉस्मेटिक में किया जाता है।उत्तराखंड के पहाड़ों से दुनिया की सबसे अच्छी गुणवत्ता का खड़िया मिलता है। अंधाधुंध खड़िया खनन के कारण हिमालय से लगे हुए पहाड़ों को काफी खतरा होता है। एक और जहां खनन से अमीर लोगों का फायदा होता है, वहीं दूसरी और आम लोग परेशानी झेल रहे हैं । ठीक इसी प्रकार खड़िया खनन के कारण भूस्खलन की जद में 131 परिवार है। इसमें खनन के इलाके में बसे 80 परिवार प्रभावित है।

कांडा के मकान में पड़ी दरार

बागेश्वर के कांडा तहसील के 25 मकान में दरार पड़ चुकी है। हारने वाली बात यह है कि आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मां कालिका मंदिर भी सुरक्षित नहीं है। खड़िया खनन स्थानीय लोगों के लिए मौत का कारण बन गया है।

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अवैध रूप से हो रहा खनन

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जिले में 131 खड़िया खान को स्वीकृत है। इनमें से 59 खान चालू है। कांडे कन्याल, अन्नपूर्णा, गणवा सिरमोली, धोली जैसे इलाकों में अवैध रूप से खनन किया जा रहा है। इससे यह साबित होता है कि अब पहाड़ी अपने ही पहाड़ों में सुरक्षित नहीं है।

एक खान को बंद कर चुप बैठ गई सरकार

खनन के कारण गांव वालों के खेतों, पनघट जहां से पानी भरा जाता है ,प्राकृतिक स्रोतों,गौचर और रास्तों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। पिछले साल राबाइंका कांडा को खनन से नुकसान पहुंचा था। इसके बाद सरकार ने एक खड़िया खान को बंद कर दिया था। लेकिन अन्य खानों में अवैध और अवैज्ञानिक तरीकों से खनन हो रहा है।

ग्रामीण लोगों का कहना है कि उनकी बात कोई नहीं सुनता है। दरार आने का सिलसिला पहले ही शुरू हो गया था। कालिका मंदिर में दरार आने के बाद जांच टीम आई थी। लेकिन उन्होंने गांव वालों की समस्या को अनदेखा कर दिया था। इसके बाद जब परेशान हो चुके ग्रामीणों ने पलायन किया तब सरकार ने टीम गांव में भेजी थी।

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