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अल्मोड़ा बस हादसे में 4 साल की शिवानी ने खोए मां-बाप, धामी सरकार ने ली मासूम की जिम्मेदारी

अल्मोड़ा बस हादसे में अपने माता-पिता को खोने वाली 4 साल की शिवानी की जिम्मेदारी धामी सरकार उठाएगी। उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी देते हुए भावुक पोस्ट लिखी।

 4 साल की शिवानी ने खोए मां-बाप

बता दें कि बीते सोमवार को अल्मोड़ा के मार्चुला में हुए बस हादसे में 36 लोगों की जाने चली गई और 24 लोग घायल हो गए। अल्मोड़ा बस हादसे में 4 साल की शिवानी ने अपने माता-पिता को दिए। अस्पताल में भर्ती शिवानी बार-बार मम्मी-मम्मी पुकारने की आवाज लगा रही पर उसे कहां पता कि जिन्हें वह पुकार रही वह इस दुनिया में अब नहीं रहे। मार्चुला हादसे ने उसके सिर से मां-बाप का साया छीन लिया।

यह भी पढ़ें- अल्मोड़ा बस हादसे में 36 की मौत, सीएम धामी ने लिया बड़ा एक्शन

शिवानी के पिता मनोज रावत  रामनगर नैनीताल में उद्यान विभाग के अंतर्गत फल संरक्षण में ट्रेनिंग सुपरवाइजर पद पर कार्यरत थे और मां चारु रावत गृहणी थी। सभी लोग दिवाली का त्योहार मनाने गांव आए थे और त्योहार के बाद वापस रामनगर जा रहे थे। मासूम बच्ची की देखरेख के लिए उसके नाना हरि कृष्ण नेगी और सुशीला देवी अस्पताल पहुंच गए हैं। दोनों अपना ग़म छुपाएं अपनी नवासी की तीमारदारी में लगे हुए हैं। बच्ची को रामनगर अस्पताल से एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया।

धामी सरकार ने ली जिम्मेदारी 

अल्मोड़ा बस हादसे में अपने माता-पिता को खोने वाली 4 साल की शिवानी की देखभाल की जिम्मेदारी धामी सरकार उठाएगी। सीएम धामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लिखा ” कल अल्मोड़ा के मार्चुला में हुए बस हादसे से हम सभी के हृदय को गहरा आघात पहुंचा है। इस कठिन समय में हमारी सरकार ने दुर्घटना में अपने माता-पिता को खोने वाली शिवानी बिटिया की देखभाल और शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने का संकल्प लिया है, ताकि वह जीवन में आगे बढ़कर स्वयं और माता-पिता के सपनों को साकार कर सके। ”

उन्होंने आगे लिखा “इस दु:खद घटना में जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। एक मुख्य सेवक और परिवार के सदस्य के रूप में, मैं इस पीड़ा को समझता हूं। हमारा कर्तव्य है कि ऐसे विपरीत समय में एकजुट होकर प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान करें और उनके जीवन को पुनः स्थिरता देने में अपना योगदान दें। “

Bhupi PnWr

writing is deeply rooted in the culture and landscapes of Uttarakhand, reflecting a strong connection to the region.

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